जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर फायर ब्रिगेड या नेपसेक स्प्रेयर मशीन के माध्यम से केमिकल छिड़काव जारी रखने या नहीं, चुनिंदा स्थानों (कफ्र्यू ग्रस्त क्षेत्र के अतिरिक्त) अन्य स्थानों पर छिड़काव बंद कर देने के बारे में मार्गदर्शन मांगा गया है। इसके साथ ही छिड़काव में छिड़काव में कौनसे कैमिकल के इस्तेमाल किया जाए, इस पर भी राय मांगी गई है।
दरअसल, नगर निगम पिछले दो महीने से फायर ब्रिगेड और हैंड स्प्रेयर मशीन से शहर में बड़े स्तर पर सेनेटाइजेशन का कार्य किया जा रहा है। सेनेटाइजेशने के कार्य में 37 फायर ब्रिगेड व सौ नेपसेक स्प्रेयर मशीनें लगी हुई हैं। पहले जहां सोडियम हाइपोक्लोराइट 1 प्रतिशत व 10 प्रतिशत का छिड़काव किया जा रहा था।
आरएमएसएल के पत्र के बाद अब हाइड्रोजन प्रोक्साइड का प्रयोग किया जाने लगा। लेकिन, पिछले दिनों ही डब्ल्यूएचओ की ओर से जारी गाइडलाइन में बताया गया कि खुले में डिसइन्फेक्टर का स्प्रे किया जाना सही नहीं है। गलियों और बाजारों में डिसइन्फेक्टर के स्प्रे से फायदा नहीं होता क्योंकि यह धूल व गंदगी में निष्क्रिय हो जाता है। सीधे किसी व्यक्ति पर स्प्रे करने से गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
सार्वजनिक स्थलों पर करवाया जा रहा स्प्रे, निगम खरीद रहा नई गाडिय़ां
मार्च महीने से लगातार नगर निगम की ओर से कचरा ट्रांसफर स्टेशन, बड़े कचरागाह, पर्यटन स्थल, बस स्टैंड, सार्वजनिक स्थल, सरकारी कार्यालय, आइसोलेशन क्षेत्र, क्वारीटंन सेंटर, अस्पताल, पॉजिटिव पाए गए मरीजों के आस-पास का क्षेत्र व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर डिसइन्फेक्टर का स्प्रे करवाया जा रहा है। परकोटे में तो प्रवेश द्वारों पर ही फायर ब्रिगेड खड़ी हुई हैं। जैसे ही कोई भी वाहन बाहर निकलता है, उसे सेनेटाइज किया जाता है। इतना ही नहीं, नगर निगम तो अब सेनेटाइजेशन के कार्य के लिए नए प्रकार के वाहन तक खरीदने जा रहा है। अगर खुले में डिसइन्फेक्टर का छिड़काव पर पाबंदी लग जाती है तो वे वाहन किसी काम के नहीं रहेंगे।