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लॉकडाउन के दौरान टैक्सटाइल इंडस्ट्री संकट में, ‘राहत पैकेज जारी करे सरकार’

locationजयपुरPublished: May 07, 2020 04:11:43 pm

Submitted by:

abdul bari

कोविड—19 ( Covid-19 ) के चलते देश का पूरा उद्योग जगत संकट के दौर से गुजर रहा हैं। ऐसे में टैक्सटाइल इंडस्ट्री ( Textile Industry ) भी इससे अछूती नहीं हैं।

शैलेंद्र शर्मा/जयपुर।

कोविड—19 ( COVID-19 ) के चलते देश का पूरा उद्योग जगत संकट के दौर से गुजर रहा हैं। ऐसे में टैक्सटाइल इंडस्ट्री ( Textile Industry ) भी इससे अछूती नहीं हैं। इसको लेकर पत्रिका की ओर से एक वीडियो कांफ्रेसिंग (वेबिनार) आयोजित की गई। जिसमें इस इंडस्ट्री के रेडिमेड गारमेंट, क्लाथ और साड़ी व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों और संगठन के पदाधिकारियों साथ उनकी समस्याओं व मांगों को लेकर चर्चा की पत्रिका के विशेष संवाददाता शैलेंद्र शर्मा ने।

वीसी में निकले महत्वपूर्ण बिंदु, जिनको पूरा करे सरकार ( Corona Effect On Textile Industry )

किराया
दुकान का किराया आने वाले एक साल के लिए आधा किया जाए और लॉकडाउन के दौरान के समय का कुछ किराया तय करके उनको आगे जोड़ के दिया जाए, जिससे दुकान मलिक किराया कम करने की सहमति दे सके।
बिजली बिल
यदि संभव हो तो बिजली के बिल मे कटौती का प्रावधान किया जाए। अन्यथा आने वाले बिल पर किसी प्रकार के कर नहीं हो तथा पूर्व बक़ाया में समय दिया जाए। किसी प्रकार का स्थायी शुल्क ना लगाया जाए।
लोन
किसी भी प्रकार की लोन की किश्त हो उसके भुगतान मे समय कम से कम 6 माह का मिलना चाहिए, क्योंकि बैंक वाले सबसे ज़्यादा मानसिक रूप से परेशान करते हैं और कोई भी अतिरिक्त देय राशि ना हो।
कर्मचारी वेतन
लॉकडाउन के दौरान समय का वेतन आधा किया जाए तथा आने वाले समय में वेतन 70% करके कुछ हिस्सा पुराना जोड़ के दिया जाए, ताकि दोनों पक्ष का काम चल सके।
बिना कार्य के भी सैलेरी देने का प्रस्ताव नैतिक रूप से भी भारत के भविष्य के विकास के लिए बहुत अनुकूल नहीं हैं। यह देश की श्रम की इच्छाशक्ति जो पहले से ही काम करने से बच रही है, क्योंकि उन्हें पहले से ही बिना काम के रहने के लिए मुफ्त पैसा मिल रहा है।
सरकारी विभाग
—श्रम विभाग, जीएसटी, आयकर और एमसीए जैसे सरकारी विभाग के उत्पीड़न को रोकना चाहिए, यह केवल व्यवसायों को हतोत्साहित करता है और ऐसे संकट के समय व्यापारियों में नकारात्मक पैदा करेगा।

स्वदेशी उत्पादन
—भविष्य की वित्तीय असुरक्षा की अपनी आशंकाओं को कम करके और जनता को स्वदेशी पर अधिक खर्च करने के लिए प्रोत्साहित करें। यह चीन की तरह हमारी —अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए यह आवश्यक है। सरकार घरेलू खपत पर ध्यान दें क्योंकि इससे भारत में विदेशी निवेश और कंपनियों को प्रेरणा मिलेगी। सरकारी सिस्टम इंस्पेक्टर की ईटीसी के माध्यम से व्यवसासियों को परेशान नहीं करें।
इनका कहना हैं

”अधिकांश व्यापारी वर्ग सिक्योर और अनसिक्योर लोन लेकर अपना व्यवसाय करता हैं। अभी हमारी फाइनेंशियल सिस्टम गड़बड़ा गई हैं। इसलिए इस संकट के दौर में सबसे ज्यादा मुसीबत हैं व्यापारी वर्ग। अगर व्यापारी वर्ग खत्म तो देश खत्म। राज्य व केंद्र सरकार से अपील हैं कि वे हमारी मजबूरी को समझे और कोई राहत पैकेज जारी करें।
ओमप्रकाश तनेजा
अध्यक्ष, राजस्थान कपड़ा एवं साड़ी व्यवसाय संघ
निदेशक, प्रताप संस

”अगले 2-3 सालों तक कोई व्यवसाय की स्थिति अच्छी नहीं होने की आशंका के चलते स्टाफ के पूरे वेतन को भुगतान करने में असमर्थ हैं, चूंकि व्यवसाय पहले से ही घाटे में हैं और आगे आशंका बनी हुई हैं ऐसे में सरकार को इसमें मदद करनी चाहिए।
वीरेन्द्र राणा , वरिष्ठ उपाध्यक्ष
राजस्थान कपड़ा एवं साड़ी व्यवसाय संघ
निदेशक, राणा साड़ी एम्पोरियम
”व्यापारी वर्ग ने हमेशा सब तरह से सरकार का सहयोग किया हैं। इस समय अगर सरकार हमारा सहयोग नहीं करती हैं तो व्यापारी का विश्वास ही उठ जाएगा। इसलिए सरकार को व्यापारियों को मदद के लिए आगे आना होगा। सरकार को चाहिए वो बिजली के बिल माफ करे और इसके फिक्स चार्ज भी हटाए।
राजेश कुमार अग्रवाल
निदेशक, सिटीवाइब्स

”सरकार के कर्मचारियों को सैलेरी देने की बाध्यता के आदेश व एडवायजरी के बाद से मालिक व कर्मचारियों के सबंधों में दूरी आ गई हैं। सरकारी आदेश से उनको महसूस होने लग गया है कि यह तो उनका अधिकार हो गया। हमें कर्मचारियों को मझधार में नहीं छोड़ना हैं। सरकार की तरफ से अगर व्यापारियों को रिजनेबल ब्याज दर पर लोन मिल जाता हैं तो हमारी अर्थ व्यवस्था फिर से तुरंत रिकवर हो जाएगी। हम लोग भी अपनी तरफ से व्यापार को बढ़ाने के लिए खुद सहयोग करने के लिए आगे आएंगे।
आलोक बंसल
किशोरी साड़ी प्रा.लि

”जीएसटी में कुछ समय का प्रावधान एवं कुछ प्रतिशत के रूप में सहयोग मिलना चाहिए। व्यापारी हमेशा सरकार को सहयोग करता है। इस कठिन समय में सबसे ज़्यादा परेशानी व्यापारी को होगी, संभव हो तो आर्थिक मदद करनी चाहिए।
जगदीश बूलानी (जीतू )
लक्षिता फैशन,
कोषाध्यक्ष,जीटी एवं जीटी सेंट्रल
”सरकार को चाहिए कि ऐसे मुसीबत के समय में कर्मचारियों का पूरा वेतन वहन करें या फिर उसका कुछ ईएसआईसी के माध्यम से भी किया जा सकता हैं।
निर्मल सराफ
पनघट साड़ीज


वीसी में इन्होंने भी रखे अपने महत्वपूर्ण सुझाव—
वसांसी के शैलेंद्र संचेती और संप्रित संचेती, निखार कलेक्शन, नोया—फलो के सुरेन्द्र निखार फैशन के प्रदीप, अमरदीप साड़ीज के अमरचंद डागा, एमसीबी रिटेल (चेंज स्टोर) के यश बोथरा,रुपलक्ष्मी साड़ीज के रामावतार अग्रवाल व सोहित, तालुका फैशन्स के नवीन तालुका व नरेन्द्र तालुका।

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