वीसी में निकलकर ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों की मुख्य समस्याएं… ट्रांसपोर्ट का मतलब वाहन और वाहन के बिना ट्रांसपोर्ट संभव नहीं हैं। एक आम आदमी बिना ई.एम.आई फिक्स किए बिना जल्दी से वाहन खरीद नहीं सकता। इसलिए जिनके पास भी ट्रांसपोर्ट व्हीकल हैं, चाहे वो आम आदमी हो या व्यापारी उन सभी की बैंकों की किश्तें जा रही हैं। इसके अलावा उनके इश्योरेंस की अवधि भी बढ़ाई जाए। चूंकि आवश्यक सेवाओं के अलावा सभी तरह के परिवहन बिलकुल पूरी तरह से बंद हैं, ऐसे में ट्रांसपोर्ट व्यवसाय को रोजाना करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा हैं। ऐसी स्थिति में वे अपने कर्मचारियों को सैलेरी देने की स्थिति में नहीं हैं। इसलिए व्यव सायियों की मांग हैं कि इस संकट की घड़ी में कर्मचारियों के वेतन व्यवस्था सरकार करवाए। वर्तमान समय में आरटीओ के जितने भी टैक्स है, उन्हें माफ कराया जाए। साथ ही आरटीओ में होने वाले सभी प्रत्यक्ष कार्यों को डिजिटल कर दिया जाए, ताकि एक दूसरे को कागज लेने देने की जरुरत नहीं पड़े और जिससे एक दूसरे में किसी भी तरह का संक्रमण नहीं फैले। इसके अलावा डिजिटिलाइजेशन से सोशल डिस्टेंस के नियम का भी पालन होगा। ट्रांसपोर्ट कर्मचारियों जैसे चालक, खलासी व हैल्परों का कोरोना का बीमा कवर किया जाएं, जिससे किसी भी प्रकार की अनहोनी होने पर उसका भार ट्रांसपोर्ट व्यवसायी पर ना पड़े। अब जरुरत हैं कि सरकार इस व्यवसाय को इंडस्ट्री घोषित करें, जिससे यह असंगठित व्यवसाय भी उन्नति व प्रगति कर सके और देश के विकास में और अधिक मजबूती के साथ अपना योगदान कर सकें।
ये ज्वलंत मुदृदें, जिन पर सरकार से मदद की दरकार
—ईएमआई
—इंश्योरेंस
—कर्मचारियों की सैलरी
—टोल टैक्स
—गोडाऊन रेंट
—पास व्यवस्था
—रोड टैक्स
—डीजल ”पत्रिका की ओर से ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों के साथ एक वीडियो कांफ्रेसिंग वेबिनार आयोजित की गई। पत्रिका का यह एक सराहनीय प्रयास हैं। इस वेबिनार में प्रदेश के ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्षों व व्यवसायियों ने लॉकडाउन के चलते उनको हो रही परेशानियों व मांगों को लेकर अपनी बात रखी हैं। विभाग की ओर से उनकी समस्याओं पर गंभीरता से विचार कर उनका निराकरण किया जा रहा हैं।”
रवि जैन
सचिव व आयुक्त
परिवहन विभाग
मार्च से सितंबर तक ब्याज सहित ईएमआई डेफर्ड की जानी चाहिए। लॉकडाउन खुलने के कुछ महीने के बाद सब कुछ सामान्य हो जाएगा। चूंकि जुलाई, अगस्त और सितंबर वर्षा ऋतु होने की वजह से यह ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों के लिए मंदी का समय होता हैं। इसलिए सरकार को चाहिए कि मार्च से लेकर सितंबर 2020 तक की किश्तों पर ब्याज नहीं लगाया जाए और उन्हें पूर्णरुप से माफ किया जाए।
दौलत सिंघवी
निदेशक
स्काईलाइट लोजिस्टिक्स प्रा.लि
लॉकडाउन के चलते पिछले दो महीनों से उनके वाहन प्रतिष्ठानों या घरों के बाहर खड़़े हुए है। ऐसे में वो बैंकों की किश्तें जमा करने की स्थिति में नहीं है। इसलिए इन किश्तों की अवधि को ब्याज माफी के साथ—साथ कम से कम छह महीनों तक आगे बढाया जाए।
सुरेश अग्रवाल
आईओसीएल सी एंड एफ एन लॉजिस्टिक
ट्रांसपोर्ट व्हीकल लॉकडाउन के कारण पिछले दो महीनों से घर पर ही खड़े है, बड़े वाहनों का एक साल का बीमा भी 70 से 80 हजार रुपए में होता है, इसलिए इसकी अवधि को भी 3 महीनों तक बढ़ाया जाना चाहिए ।
निर्मल भूतिया
(ऑल इण्डिया मोटर ट्रांसपोर्ट)
लॉकडाउन के चलते व्यापार बन्द पड़े हैं, ऐसे में ट्रांसपोर्ट भी अछूता नहीं रहा है, पूर्व में ही स्थिति खराब थी, अभी ओर खराब हो गई है। ऐसी मुश्किल घड़ी में वर्कर्स, एम्पलॉई व वाहन चालकों को तनख्वाह कहां से दे पाएंगे, इसलिए सरकार को कोई राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए।
अनिल आनंद
(जयपुर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन)
ट्रांसपोर्ट तो लॉकडाउन के चलते वैसे ही पूर्णतया बन्द पड़ा हुआ हैं, ऐसे में सरकार ने टोल टैक्स पुनः चालू कर दिया है, ऐसे में व्यापारी टोल कहां से दे पाएंगे, इसलिए सरकार से आग्रह है जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती तब तक टोल टैक्स लागू नहीं किया जाए।
व्यापारियों ने अपने माल के स्टोरेज के लिए गोडाउन रेंट पर लिए हुए हैं। दो महीनों से कोई एक्सपोर्ट नहीं होने के कारण सारा माल गोडाउन में ही रखा हुआ हैं, इसलिए इसके लिए भी कोई स्कीम लाई जाए।
श्री बलबीर सिंह
(सीमेंट कैरियर)
पास व्यवस्था को लेकर सभी में असमंजस बना हुआ हैं। कहां से बनेंगे और कैसे बनेंगे। लॉकडाउन में सभी स्टाफ, एम्पलॉई व वाहन चालक अपने—अपने घर चले गए हैं। इसलिए उनके लिए पास बनवाने की व्यवस्था की जाए, ताकि वो वापस आकर अपना काम संभाल सके। जिससे ट्रांसपोर्ट व्यवस्था शुरू हो सके और साथ ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा भी चालू की जाए।
अमित जैन
(टू-व्हीलर कैरियर)
व्यापारियों द्वारा रोड टैक्स चुकाया हुआ हैं, परन्तु वाहन खड़े हुए हैं, इसलिए इसकी अवधि को 12 महीनों से बढ़ाकर 15 महीनों तक किया जाए (अवधि 3 महीने तक बढ़ाई जाए)।
ओम अग्रवाल
(कार कैरियर)
डीजल की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है, ऐसे में ट्रांसपोर्टर व्हीकल कैसे चला पाएगा। इसलिए इनकी कीमतों को भी स्थागित किया जाना चाहिए।
अमित पाटनी
(पेट्रोलियम टैंकर)
लॉकडाउन के चलते हजारों ट्रक माल सहित जहां के तहां लदे पड़े हैं। ऐसे में राजस्थान के ट्रांसपोर्ट व्यवसाय को करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा हैं। हमारी सरकार से मांग है कि बैंकों की किश्तों के अलावा हमारे कर्मचारी चालक, खलासी व हैल्पर का बीमा में कवर किया जाए। इसके अलावा पेट्रोल पंपों ट्रकों के सै नेटाइज की व्यवस्था की जाए और जिले की सीमा हमारे कर्मचारियों की स्वास्थ्य जांच की जाए।
गोपाल सिंह राठौड़
प्रदेश अध्यक्ष
जयपुर ट्रक ट्रांसपोर्ट आपरेटर चैंबर्स
फैक्ट फाइल—
प्रदेश में छह हजार ट्रांसपोर्ट व्यवसायी
5.50 लाख ट्रक हैं, जिसमें से
1.50 सिंगल मालिक हैं, लेकिन वे किसी ना किसी ट्रांसपोर्ट कंपनी से जुड़े हैं।
1200 करोड़ रुपए का रेवन्यू मिलता हैं सरकार को।