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Corona Effect : एक महीने देरी से हो रही वन्यजीव गणना पर मंडराए ‘बादल’

locationजयपुरPublished: Jun 02, 2020 01:17:53 am

कोरोना के भय के साथ खराब मौसम की आशंका, अटक सकती है गणना, लॉकडाउन की वजह से बुद्ध पूर्णिमा को न होकर ज्येष्ठ पूर्णिमा को होगी गणना

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Corona Effect : एक महीने देरी से हो रही वन्यजीव गणना पर मंडराए ‘बादल’

जयपुर. वाटर हॉल पद्धति से पांच जून से प्रदेशभर के जलाशयों पर शुरू होने वाली वन्यजीव गणना पर फिर से नया संकट खडा हो गया है। कोरोना वायरस के भय के साथ अब मौसम विभाग की चेतावनी ने वन अधिकारियों के पसीने छुड़वा दिए हैं। जिससे इस बार गणना को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है।
वन विभाग हर साल बुद्ध पूर्णिमा को 37 वन्यजीव प्रजातियों की गणना करवाता आ रहा है। इस बार भी आदेश जारी हुए, लॉकडाउन के चलते इसे एक माह बाद ज्येष्ठ पूर्णिमा को रखा गया। इन दिनों मौसम विभाग ने प्रदेश भर में अंधड़ के साथ बारिश की चेतावनी जारी कर दी है। हालांकि जयपुर समेत कई जिलों में बारिश हुई भी है। ऐसे में जंगल, अभयारण्य आदि में छोटे-छोटे जलाशयों में बारिश का पानी एकत्र हो जाएगा और चिन्हित या बड़े जलाशयों पर वन्यजीवों के आने के अवसर कम ही रहेंगे। मौसम खराब होने या बादल छा जाने पर भी चांद की रोशनी कम हो जाएगी, जिससे सहीं वन्यजीव की पहचान होना भी मुश्किल होगा।
महज ऑनलाइन ट्रेनिंग: एक स्वयंसेवी संस्था के प्रतिनिधि ने बताया कि इस बार गणना चुनौतीपूर्ण होगी। क्योंकि ट्रेनिंग भी ऑनलाइन ही हुई है, उसमें सब चीजें साफ नहीं हो पातीं। ऐसे में पहली बार आने वाले स्वयंसेवी के लिए किसी पक्षी या जानवर की पहचान करना बड़ी चुनौती होगा। विभाग के पास प्रवासी पक्षियों की प्रजाति आदि की पहचान करने वाले ज्यादा लोग भी नही हैं। न ही ऐसे कोई संसाधन हैं, जिनसे गणना में सहायता मिलती हो।
यों जरूरी है बुद्ध पूर्णिमा को गणना
— बुद्ध पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी का प्रकाश अन्य पूर्णिमा की रात की अपेक्षा अधिक प्रखर होता है। इससे रात को सभी वन्य प्राणियों की सहज रूप से गिनती होती है।
— वन्यजीव रात में पानी वाले स्थान या मचान के पास से गुजरने पर सहजता से नजर आ जाते हैं।
— चांदनी का प्रकाश प्राकृतिक होने से वन्यजीव भी बहुत अधिक इस प्रकाश से घबराते नहीं हैं।
कोरोना का भय
एक वन अधिकारी ने बताया कि अभी कोरोना से हर कोई भयभीत है। ऐसे में स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि, पक्षी एक्सपर्ट भी आने से कतरा रहे है। विभाग का स्टाफ भी पूरी तरह से प्रशिक्षित नहीं है, जो हर किसी वन्य प्राणी को पहचान सके। नए लोगों के लिए काफी संघर्ष है। ट्रेनिंग भी ऑनलाइन ही हुई है।
इस बार मौसम की खराब होने से गणना में बाधा हो सकती है। गणना के लिए बुद्ध पूर्णिमा ही सही है। उस दिन गर्मी और चांदनी रात होने के साथ मौसम भी ठीक रहता है।
सतीश शर्मा, वन्यजीव विशेषज्ञ
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