राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार अगर समय रहते दूसरे राज्यों में बढ़ते संक्रमण से सावचेत हो जाती तो प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा आज एक लाख तक नहीं पहुंचता। राज्य सरकार ने बीते 3 महीनों में अपनी टेस्ट क्षमता को दोगुना करते हुए 30000 किया है, जबकि उत्तर प्रदेश में एक से डेढ़ लाख टेस्ट प्रतिदिन हो रहे हैं। इसलिए सरकार को कार्यनीति में बदलाव करना होगा, ताकि इस संक्रमण के फैलाव को रोका जा सके।
फिर भी सरकार कह रही है स्थिति नियंत्रण में है राठौड़ ने कहा कि दिल्ली और महाराष्ट्र में बढ़ते कोरोना संक्रमितों की संख्या के बावजूद भी राज्य सरकार इसी मुगालते में रही कि राजस्थान में कोरोना स्थिति नियंत्रण में है। जबकि संक्रमित मरीजों की संख्या का आंकड़ा अब एक लाख पार होना राज्य सरकार की नाकाम चिकित्सकीय व्यवस्था व कोरोना कुप्रबंधन का प्रत्यक्ष प्रमाण है। राजधानी जयपुर में कोरोना के इलाज के लिए 2000 ऑक्सीजन युक्त शैय्याओं की आवश्यकता थी तथा 300 विभिन्न चिकित्सालयों में वेंटीलेटर की आवश्यकता थी जिस पर सरकार ध्यान न देकर जयपुरिया चिकित्सालय में कोरोना के लिए 500 बैड की उपलब्धता की थोथी घोषणा कर रही है। राठौड़ ने ऑक्सीजन की मुनाफाखोरी में 40-50 प्रतिशत प्रति सिलेण्डर राशि अधिक वसूलने वाले व्यापारियों पर भी सख्त कार्यवाही की मांग की है।