खास बात ये है कि हूमा खान की एक साल की मासूम बेटी है। जो इनदिनों मां से दूर ही रहती है। डॉक्टर खान ने बताया कि वह सुबह जल्दी घर से निकल जाती हैं और अपनी टीम के साथ रामगंज क्षेत्र के लोगों को जगह-जगह शिविर लगाकर इम्यूनिटी बूस्टर यूनानी काढ़ा पिलाती हैं। इसके अलावा पुसिकर्मियों समेत अन्य कोरोना वारियर्स को इम्यूनिटी बूस्टर यूनानी दवाएं वितरित करती हैं। जिससे लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाए और वह कोरोना की चपेट में न आएं। इस दौरान उन्हें अपनी मासूम को घर पर ही छोड़ना पड़ता है।
चाहकर भी नहीं ले पाई तो आंखें भर आईं… डॉक्टर हूमा ने पिछले दिनों की घटना को याद करते हुए बताया कि मैं रामगंज इलाके में ही होम क्वारंटाइन हुए लोगों को इम्यूनिटी बूस्टर यूनानी दवाएं और काढ़ा पिलाने गई हुई थी। इस दौरान घर से बार-बार मम्मी के फोन आ रहे थे, उनका कहना था कि आज बेटी काफी रो रही है, जल्दी घर आ जाओ। खान ने बताया कि दोपहर बाद काम निपटा कर जैसे ही घर पहुंची तो मासूम मेरी ओर आने लगी, लेकिन चाहते हुए भी संक्रमण के डर से मैं उसे गोद में न ले पाई। इस दौरान मेरी आंखें भर आईं। बाद में ड्रेस चेंज कर खुद को सेनेटाइज किया और फिर बेटी को गले से लगा लिया।