जयपुर

कोरोना वायरस ने बिगाड़ा घर का बजट, महामारी के कारण चीन में महंगाई आसमान पर

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण आपूर्ति श्रृंखला ( supply chain ) गढ़बढ़ाने की वजह से चीन ( China ) में महंगाई ( Inflation ) दर आठ साल से अधिक के ऊपरी स्तर पर पहुंच गई। साथ ही जनवरी में खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई ( food inflation ) दर 20.6 फीसदी पर पहुंच गई। चीन के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक चीन में खुदरा महंगाई दर जनवरी में 5.4 फीसदी रही, जो दिसंबर 4.5 फीसदी थी। यूओबी के रिसर्च प्रमुख सुआन टेक किन ने कहा कि खुदरा महंगाई की यह दर अक्टूबर 2011 के बाद सर्वाधिक है, जब यह दर 5.5 फीसदी

जयपुरFeb 10, 2020 / 08:22 pm

Narendra Singh Solanki

विश्लेषकों के मुताबिक कोरोना वायरस की रोकथाम की कोशिशों के कारण महंगाई की दर इतनी बढ़ी है। नोमुरा के लू टिंग ने कहा कि परिवहन व्यवस्था प्रभावित होने और बंदी के अन्य कदमों से कुछ खाद्य वस्तुएं बढ़े शहरों में पहुंचने से पहले सड़ रही हैं। ऐसी वस्तुओं में खास तौर से फल, सब्जी और पशुओं के चारे शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की स्थिति में लोग खाद्य वस्तुएं जमा भी करने लगते हैं। इसके कारण भी महंगाई बढ़ती है।
यूओबी के रिसर्च प्रमुख सुआन टेक किन ने कहा कि नव वर्ष की छुट्टी के बाद महंगाई आम तौर पर कम हो जाती है, लेकिन इस साल यह इसके बाद भी उच्च स्तर पर बनी रह सकती है। क्योंकि आपूर्ति श्रृंखला चरमरा गई है। जनवरी में पोर्क सालाना आधार पर 116 फीसदी महंगा हो गया। इस दौरान फैक्ट्री गेट पर वस्तुओं की महंगाई दर जनवरी 0.1 फीसदी बढ़ी।
दूसरी तरफ, मूडीज के मुताबिक कोरोना वायरस का संकट उजागर होने के बाद से दुनिया के सबसे बड़े तेल आयातक चीन में आर्थिक गतिविधियां लगातार सुस्त हो रही हैं। फिलहाल वैश्विक अर्थव्यवस्था भी सुस्त गति से चल रही है। इसका असर तेल की वैश्विक मांग पर भी होगा। अभी तक दुनियाभर में दर्जनों उड़ानें और लाखों लोगों पर इसका असर पड़ चुका है। चीन की विकास तीन दशक के निचले स्तर पर है, जो यहां आर्थिक गतिविधियों की सुस्ती को दर्शाता है। इसका असर क्रूड की खपत पर भी होगा। वैश्विक बाजार में क्रूड का वायदा भाव बृहस्पतिवार को 55.46 डॉलर प्रति बैरल था।
व्यापार युद्ध के बाद वायरस का वार
मूडीज ने कहा कि चीन पिछले दो वर्षों से अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध का दंश झेल रहा है। इससे कुछ हद तक उबरा तो अब वायरस के वार का असर उसकी अर्थव्यवस्था पर होने लगा है। चीन में प्रतिदिन 1.4 करोड़ बैरल तेल की खपत होती है। कारोना वायरस के फैलने के बाद से यहां गैस की खपत भी कम हुई है और इसकी कीमतें भी नीचे आई हैं। फिलहाल इसके प्रभाव का पूरा आकलन किए जाने के बाद ही वास्तविक स्थिति का खुलासा किया जा सकेगा।
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