scriptभारत में कोरोना वायरस, तूफान, टिड्डी दल से तबाही मचाई | Corona virus, storm, locust team devastated in India | Patrika News

भारत में कोरोना वायरस, तूफान, टिड्डी दल से तबाही मचाई

locationजयपुरPublished: Jun 03, 2020 10:23:31 pm

जयपुर। पूरी दुनिया में जहां कोरोना काल ( Corona period ) चल रहा है। वहीं भारत में कोरोना वायरस ( corona virus ), तूफान ( storm ), टिड्डी दल ( locust party ) से तबाही ( destruction ) मची हुई है। एक साथ कई आपदाएं भारत में हमला कर रही हैं। खासतौर से शहरी इलाके जहां कोरोना वायरस की मार झेल रहे हैं। वहीं ग्रामीण इलाके ( urban areas ) टिड्डी से दल से परेशान हैं। इसके अलावा पश्चिम बंगाल, ओडिसा, महाराष्ट्र, गुजरात कोरोना वायरस, तूफान की मार झेलने के लिए मजबूर हैं।

भारत में कोरोना वायरस, तूफान, टिड्डी दल से तबाही मचाई

भारत में कोरोना वायरस, तूफान, टिड्डी दल से तबाही मचाई

साल 2019 में भारत में 150 टिड्डी दल ने प्रवेश किया था। इस साल अब तक करीब 25 दल प्रवेश कर चुके हैं। अप्रेल के बाद से देश के 6 राज्यों राजस्थान, गुजरात, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में इन टिड्डी दलों पर नियंत्रण करने के लिए करीब 54,000 हेक्टेयर के करीब दवा का छिड़काव किया गया, जबकि जून जुलाई के समय जो आमतौर पर टिड्डी दल आता है, यह उसके पहले है। भारत में खरीफ की फसलों की बुवाई जून-जुलाई में शुरू कर दी जाती हैं। खरीफ की मुख्य फसलें धान, मक्का, बाजरा ज्वार, ग्वार आदि हैं। इनको अक्टूबर नंबर तक काट दिया जाता है। मानसून ने केरल में दस्तक भी दे दी है। यानी जल्द ही उत्तर भारत में दस्तक देगा। यानी इस समय जब टिड्डियों के आतंक से देश परेशान है, तब किसान आखिर अपनी फसल की बुवाई कैसे करेंगे। यह उनके लिए एक चिंता का विषय है। टिड्डी दल भोजन की तलाश में 150 किमी तक दिन भर में उड़ान भर सकती हैं। जो कि एक दिन में 2500 लोगों के बराबर भोजन चट कर सकती हैं।
22 जून से 19 जुलाई के बीच टिड्डी दल पूर्वी अफ्रीका जिसमें सोमालिया, इथोपिया और केन्या शामिल है। यहां से भारत में प्रवेश करेंगे। टिड्डियों के आने से इनके प्रजनन से और इजाफा होगा। ऐसे में यदि यही प्रक्रिया जारी रही तो जून में भारत में टिड्डी दलों का दूसरा हमला हो सकता है। यदि हम पूरी कोशिश के बाद राजस्थान व मध्य प्रदेश में वर्तमान टिड्डी हमले को रोक भी देते है, तब भी किसानों को कोई खास फायदा नहीं होगा, क्योंकि केन्या की वजह से टिड्डियों का दूसरा हमला भी लगभग तय है।
राजस्थान, गुजरात और पंजाब के कुछ हिस्सों में किसानों को भारी नुकासन होने की संभावना जताई जा रही है। इन किसानों को टिड्डी दल के नुकसान के कारण बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। भारत कृषक समाज के चेयरमैन अजय वीर जाखड़ ने कहा कि हमारी कमजोरी के कारण अप्रेल मई के महीने में ही टिड्डी दल ने झांसी में प्रवेश कर लिया है। जाखड़ जो कि पंजाब किसान आयोग के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने टिड्डी दल के नियंत्रण के रणनीति के बारे में मुद्दे उठाए हैं। जाखड़ ने कहा कि कृषि मंत्रालय ने कार्रवाई करने में देरी कर दी है। अभी तक केंद्र सरकार ने इससे निपटने के लिए फंड भी मुहैया नहीं कराया है।
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