जयपुर
कोरोना की दहशत और लॉकडाउन के चलते लोग खाद्य सामग्री और जरूरी वस्तुओं का संग्रहण कर रहे हैं, वहीं अब लोगों ने रसोई गैस के सिलैंडरों का भंडारण भी शुरू कर दिया है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लॉकडाउन के बाद से गैंस सिलैंडरो की रोजाना की बुकिंग में दो से तीन गुना तक बढ़ोतरी हो चुकी है।
रसोई गैस सिलैंडरों की सप्लाई करने वालों के अनुसार लॉकडाउन के बाद लगे जनता कर्फ्यू के दौरान दशहत के चलते लोगों ने पहले खाद्य सामग्री का भंडारण कर लिया था। अब उन्हें यह चिंता सता रही है कि लॉकडाउन लंबा चलेगा, ऐसे में कहीं गैस सिलैंडरों की आपूर्ति बाधित हो गई तो समस्या खड़ी हो जाएगी। इस आशंका के चलते जो लोग महीने में एक गैस के सिलैंडर की बुकिंग करवाते थे, उन्होंने दो—तीन सिलैंडरों की बुकिंग करवा दी है। वे लगातार गैस एजेंसियों पर फोन करके यह कह रहे हैं कि उनका गैस सिलैंडर खाली हो गया है…खाना बनाना है इसलिए गैस सिलैंडर की सप्लाई तत्काल ही करवाई जाए।
गैस एजेंसियों के डिलीवरीमैन लोगों को यह समझा कर रहे है कि गैस की कमी बिलकुल नहीं आएगी। गैस सिलैंडरों की पर्याप्त आपूर्ति हो रही है, इसलिए जरूरत हो उतनी की बुकिंग करवा कर सिलैंडर मंगवाए। वे लोगों को कोरोना से बचने से लिए भी समझा रहे हैं। डिलीवरीमैन धनसिंह राठौड़ ने बताया कि हम लोगों को यह समझा रहे हैं कि सिलैंडर को साबुन सर्फ से धोकर तथा सेनेटाइज करके ही उसे काम में लेना चाहिए। जो व्यक्ति गैस का सिलैंडर लेता है उसे भी खुद को सेनेटाइज करने के लिए कह रहे हैं क्योंकि सिलैंडर भी संक्रमित हो सकता है।
मोहन गैस एजेंसी के संचालक सुरेश शर्मा ने बताया कि कोरोना का भय इतना हो गया कि लोग सोच रहे हैं पता नहीं कोरोना कब कंट्रोल होगा, लॉकडाउन कब तक चलेगा? इसलिए वे घरों में मौजूद सभी खाली सिलैंडरों के लिए बुकिंग करवा रहे है। शर्मा ने बताया कि डिलीवरीमैनों को यह कहा गया है कि वे घर में अंदर न जाए, क्योंकि वहां संक्रमित व्यक्ति हो सकता है, इसलिए गेट पर ही सिलैंडर की सप्लाई दरवाजे के बाहर ही करें, उन्हें यह भी बताए कि वे सिलैंडर को सेनेटाइज करके ही काम में लें।
पॉश कॉलोनियों में रहनेवाले उपभोक्ता गैस सिलैंडरों की बुकिंग करवा रहे हैं, लेकिन जब डिलीवरीमैन वहां पहुंचता है तो उन कॉलोनियों के दरवाजों पर ताले लगे मिलते हैं, और वह एक गेट से दूसरे गेट पर चक्कर काटता रहता है। इसलिए लोगों को चाहिए कि वे खुद घरों में रहे, कॉलोनियों के गेट बंद न करें।