अमूमन होली से करीब पखवाड़े भर पहले से ही परकोटे, राजापार्क व वैशाली नगर सहित अन्य बाजारों में चाइनीज उत्पाद बहुतायत में दिखाई देते थे। वहीं, कोरोना वायरस के चलते चाइनीज पिचकारी, स्प्रिंकलर्स तथा बैलून आदि का स्टॉक बेहद कम है। भारत में पिचकारी टॉय हेड की श्रेणी में आती है, जिस पर कस्टम ड्यूटी 20 से बढ़ाकर 60 फीसदी कर दी है। वहीं, भारत में तैयार होने वाले इन सामानों के दाम चाइनीज उत्पादों की तुलना में कुछ फीसदी अधिक हैं।
40 फीसदी ऑर्डर रद्द
होली के लिए दिल्ली, मुंबई के अधिकांश व्यापारियों ने भारत में बनने वाली पिचकारी के ऑर्डर दिए हैं। त्रिपोलिया बाजार में खिलौनों और पिचकारियों के थोक कारोबारी मोहम्मद सलीम ने बताया कि करीब 40 फीसदी व्यापारियों ने चीन से मंगाने जाने वाले सामान का आर्डर रद्द कर दिया है। हालांकि दिल्ली, हाथरस, राजस्थान, मुंबई और भोपाल में पिचकारी तैयार की जा रही है। होली पर हर साल प्रदेश में रंग-गुलाल का 10 करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार होता है।
दो मार्च तक चीन से कारोबार पर रोक
स्था नीय कारोबारियों के अनुसार चीन से आयात पर दो मार्च तक रोक के चलते होली पर मंगाया जाने वाला सामान नहीं आ पा रहा है। वहीं, कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण जनवरी-फरवरी में मंगाई खेप लेने से कारोबारी बच रहे हैं। परकोटा और राजापार्क क्षेत्र के दुकानदारों के अनुसार पहले का कुछ चाइनीज माल अभी बिक रहा है, लेकिन वह भी पर्याप्त स्टॉक में नहीं है। ऐसे में भारत में बनी पिचकारी, गुब्बारे सहित अन्य उत्पादों की मांग बाजार में रहेगी। इसका फायदा पिचकारी व अन्य उत्पाद तैयार करने वाले भारतीय उत्पादकों को होगा।