गौर करने वाली बात है कि 1 जनवरी 2022 को विगत पांच वर्ष के 294 प्रकरणों में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए फाइल भेजी गई। वहीं, इस वर्ष अब तक 6 प्रकरणों की फाइल संबंधित विभागों को भेजी है। जबकि इन 300 प्रकरणों से संबंधित विभागों ने मात्र 17 में ही एसीबी को कार्रवाई करने का जवाब भेजा है। ऐसे में सरकार की भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टोलरेंस की नीति पर प्रश्नचिन्ह लगता है।
पटवारी पकड़ा, तहसीलदार के खिलाफ भेजी फाइल
वर्ष 2020 में राजसमंद में पटवारी शिवराम शर्मा व दलाल नंदकिशोर को मकान की चाबी लौटाने व भवन निर्माण कार्य नहीं रोकने की एवज में 20 हजार रुपए रिश्वत लेते पकड़ा। जांच में तहसीलदार के खिलाफ सबूत नहीं मिलने पर संबंधित विभाग को कार्रवाई के लिए फाइल भेजी है।
17 मामलों में मिला जवाब
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में 2018 में हुए संशोधन के तहत एसीबी पद के दुरुपयोग के मामलों की जांच नहीं कर सकती है।पहले संबंधित विभाग के विभागाध्यक्ष से स्वीकृति लेनी पड़ती है। वर्ष 2018 से अब तक कई मामलों में संबंधित विभागों ने स्वीकृति नहीं दी। एसीबी ने अनुमति के लिए 315 मामलों में पत्र भेज रखा है।
23 हजार रिश्वत लेते पकड़ा था
वर्ष 2017 में नागौर में समग्र शिक्षा अभियान के सहायक परियोजना अधिकारी सीताराम को 23 हजार रुपए रिश्वत लेते पकड़ा। सीताराम के साथ जिला साक्षरता एवं सतत शिक्षा अधिकारी जगदीश चन्द्र के खिलाफ एफआइआर दर्ज की। अब जांच पूरी होने पर जगदीश के खिलाफ सबूत नहीं होने पर विभाग को कार्रवाई के लिए लिखा है।
जिन मामलों में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिलते तब उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए लिखते हैं।
बी.एल. सोनी, डीजी एसीबी