भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने १७ मई २०१५ को एनआरएचएम की प्रचार-प्रसार विंग के घूसकांड का खुलासा कर एनआरएचएम के तत्कालीन निदेशक आईएएस नीरज के पवन, तत्कालीन अतिरिक्त निदेशक अनिल अग्रवाल, लेखाधिकारी दीपा गुप्ता, स्टोर कीपर जोजी वॢगस और दलाल अजीत पर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था। इसके साथ ही लेखाधिकारी दीपा गुप्ता, बिचौलिया अजीत और स्टोर कीपर जोजी वर्गीस गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद कई जगह छापेमारी और पूछताछ के बाद ब्यूरो की टीम ने सबूत और दस्तावेज जुटाए और पवन और अग्रवाल को गिरफ्तार किया गया। एसीबी को दलाल अजीत के पास मिली पेन ड्राइव में अफसर और बिचौलिए की कमीशन के साथ फर्मों को होने वाले नफे में भी हिस्सेदारी और हिसाब-किताब मिला था। इसके अलावा मोबाइल पर लेन-देन का ऑडियो, टेंडर की फाइलों पर हस्ताक्षर, बैक डेट में जारी अनुबंध पत्र, सीसीटीवी फुटेज और एफएसएल रिपोर्ट को प्रकरण के लिए आधार बनाया गया था। वहीं अब सरकार मान रही है कि ब्यूरो के इन सभी दस्तावेजों में तथ्य, साक्ष्यों और परिस्थितियों में दम नहीं है। ऐसे में अग्रवाल के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति नहीं दी जा सकती है। इसके चलते उïन्हें बहाल कर निलंबन अवधि को नियमित किया जाता है। वहीं बकाया वेतन-भत्ते भी उन्हें दिए जाएंगे। जबकि इससे पहले इसी घोटाले में अन्य आरोपित आइएएस नीरज के पवन और पूर्व लेखाधिकारी दीपा गुप्ता को सरकार बहाल कर चुकी है।
जून 2016 से थे निलंबित
इस घोटाले में 48 घंटे से अधिक समत तक पुलिस हिरासत में रहने के चलते कार्मिक विभाग ने उन्हें 2 जून 2016 को निलंबित किया था।