तो कोरोना जांच की लागत हो जाएगी बेहद कम
जयपुरPublished: Mar 23, 2020 12:58:43 am
शोध : आइआइटी दिल्ली ने विकसित किया नया तरीका
तो कोरोना जांच की लागत हो जाएगी बेहद कम
नई दिल्ली. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) दिल्ली ने कोरोना की जांच के खर्च के बेहद कम करने प्रयास में कदम बढ़ाया है। आइआइटी के कुसुमा स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज के शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस की जांच के लिए एक ऐसा नया तरीका विकसित किया जो जांच की लागत कम करेगी। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे ने क्लीनिकल सैंपल्स पर इस तरीके से जांच की पुष्टि की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से शनिवार रात उन निजी प्रयोगशालाओं को अधिसूचित किया गया, जिनमें भारतीय आयुर्विज्ञान शोध परिषद की गाइडलाइन के अनुसार कोविड-19 संबंधी परीक्षण किए जा सकेंगे। जांच की अनुमति उन्हीं निजी प्रयोगशालाओं को होगी जो आरएनए वायरस के
लिए रियल टाइम में पॉलीमिरेज चेन रिएक्शन स्टेफिलोकोक्कस ऑरियस (पीसीआर एस ए) के लिए प्रमाणित हैं।
सटीकता से कोई समझौता नहीं
प्रोफेसर मनोज मेनन के अनुसार मौजूदा तरीके ‘प्रोब आधारितÓ हैं जबकि आइआइटी के शोध दल ने ‘प्रोब मुक्तÓ तरीका विकसित किया है, जिससे परीक्षण की लागत कम होती है और सटीकता से भी कोई समझौता नहीं होता।
यह है शोध करने वालों की टीम
शोध दल में पीएचडी स्कॉलर प्रशांत प्रधान, आशुतोष पांडे और प्रवीण त्रिपाठी, पोस्टडॉक्टोरल फैलो डॉक्टर पारुल गुप्ता और अखिलेश मिश्रा, और प्रोफेसर विवेकानंदन पेरूमल, मनोज मेनन, जींस गोस और बिश्वजीत कुंडू शामिल रहे।
खास हिस्सों की पहचान की गई
शोध दल ने दावा किया है कि उनके द्वारा विकसित तरीके से जांच की लागत काफी हद तक कम हो जाएगी। प्रोफेसर विवेकानंदन पेरूमल के मुताबिक तुलनात्मक शृंखला विश्लेषण का उपयोग कर कोविड-19 में ऐसे खास हिस्सों की पहचान की गई है जो दूसरे मानवीय कोरोना में उपस्थित नहीं हैं। इससे सटीक जांच होगी।