चार महीनों तक स्वास्थ्य विभाग ने कराई जांच
एसएमएस अस्पताल के सामने नकली दवाईयां मिलने के बारे में स्वास्थ्य विभाग को करीब चार महीने पहले सूचना मिली थी। चार महीनों तक स्वास्थ्य विभाग की औषधि नियंत्रक टीम ने करीब दो दर्जन से भी ज्यादा दुकानों का सर्वे किया। इसके बाद पाया कि इंफेक्शन होने पर खाई जाने वाली जिफी दो सौ एमजी टेबलेट नकली है और इसे ही मरीजों को बेचा जा रहा है। टीम ने इस दवाई के सैंपल और माल कई दुकानों से बरामद किया है। इस बारे में जांच की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग की टीम का कहना है इंफेक्शन होने पर सबसे ज्यादा यही टेबलेट दी जाती है।
एसएमएस अस्पताल के सामने नकली दवाईयां मिलने के बारे में स्वास्थ्य विभाग को करीब चार महीने पहले सूचना मिली थी। चार महीनों तक स्वास्थ्य विभाग की औषधि नियंत्रक टीम ने करीब दो दर्जन से भी ज्यादा दुकानों का सर्वे किया। इसके बाद पाया कि इंफेक्शन होने पर खाई जाने वाली जिफी दो सौ एमजी टेबलेट नकली है और इसे ही मरीजों को बेचा जा रहा है। टीम ने इस दवाई के सैंपल और माल कई दुकानों से बरामद किया है। इस बारे में जांच की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग की टीम का कहना है इंफेक्शन होने पर सबसे ज्यादा यही टेबलेट दी जाती है।
अलवर और सीकर से खरीद
ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने बताया जिफी के बारे में सूचना मिली थी। मेडिकल स्टोर मालिकों से बात की तो पता चला कि उन्होंने ये टेबलेट अजमेर में किसी हरीश मेडिकल से खरीदी थी। अजमेर जाकर इसकी जांच की तो पता चला कि हरीश मेडिकल है। उसने दवाईयां नहीं बचने के लिए कहा, लेकिन विभाग ने उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया। बाद में पता चला कि ये दवाईयां सीकर के अजीतगढ़ से भी बेची जा रही है तो वहां पर भी जांच की और वहां श्याम मेडिकल का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया। फिलहाल शहर में अन्य जगहों पर भी इस दवा के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।
ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने बताया जिफी के बारे में सूचना मिली थी। मेडिकल स्टोर मालिकों से बात की तो पता चला कि उन्होंने ये टेबलेट अजमेर में किसी हरीश मेडिकल से खरीदी थी। अजमेर जाकर इसकी जांच की तो पता चला कि हरीश मेडिकल है। उसने दवाईयां नहीं बचने के लिए कहा, लेकिन विभाग ने उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया। बाद में पता चला कि ये दवाईयां सीकर के अजीतगढ़ से भी बेची जा रही है तो वहां पर भी जांच की और वहां श्याम मेडिकल का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया। फिलहाल शहर में अन्य जगहों पर भी इस दवा के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।
पांच राज्यों में हो रही थी सप्लाई
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इसी साल जून में अजमेर रोड स्थित दवा बनाने वाली एक फर्म पर छापा मारा था। वहां से पचास लाख रुपए की नकली दवाईयां बरामद की गई थी। एंटीबायोटिक्स के रूप में ये दवाईयों राजस्थान समेत, एमपी, यूपी, हरियाणा और दिल्ली भेजी जा रही थी। दस साल से फर्म यह काम कर रही थी। पिछले महीने ही आमेर से भी नकली दवाईयों का जखीरा बरामद किया गया था। ये दवाईयां भी दिल्ली और हरियाणा भेजी जा रही थी। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का कहना है अधिकतर एंटीबायोटिक या इंफेक्शन की दवाईयां ही नकली आने की शिकायत मिलती है। कारण ये दोनों ही तरह की दवाईयां किसी भी मेडिकल स्टोर पर बिना डॉक्टर की पर्ची के भी मिल जाती हैं।
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इसी साल जून में अजमेर रोड स्थित दवा बनाने वाली एक फर्म पर छापा मारा था। वहां से पचास लाख रुपए की नकली दवाईयां बरामद की गई थी। एंटीबायोटिक्स के रूप में ये दवाईयों राजस्थान समेत, एमपी, यूपी, हरियाणा और दिल्ली भेजी जा रही थी। दस साल से फर्म यह काम कर रही थी। पिछले महीने ही आमेर से भी नकली दवाईयों का जखीरा बरामद किया गया था। ये दवाईयां भी दिल्ली और हरियाणा भेजी जा रही थी। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का कहना है अधिकतर एंटीबायोटिक या इंफेक्शन की दवाईयां ही नकली आने की शिकायत मिलती है। कारण ये दोनों ही तरह की दवाईयां किसी भी मेडिकल स्टोर पर बिना डॉक्टर की पर्ची के भी मिल जाती हैं।