राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक डॉ. जितेन्द्र सोनी के सुपरविजन में पुलिस निरीक्षक जितेन्द्र गंगवानी मय टीम ने कोटा में कैम्प कर रखा था। गंगवानी ने बताया कि गुरुवार सुबह मुखबिर की सूचना पर पीसीपीएनडीटी टीम ने महिला दलाल संजय नगर कैथून हाल कुन्हाड़ी निवासी गायत्री मेघवाल (40) व उसके पति मनोज मेघवाल (42) से जयपुर से साथ लाई गर्भवती महिला व सहायिका के डिकॉय ऑपरेशन के लिए सम्पर्क किया।
महिला दलाल ने गर्भवती से चिकित्सक के 25 हजार एवं स्वयं के लिए 10 हजार कुल 35 हजार रुपए में भ्रूण परीक्षण कराना तय किया। महिला दलाल ने नयापुरा स्थित जेके लॉन हॉस्पिटल में गर्भवती को दिखाकर पर्ची बनवाई एवं नजदीक ही सोनोग्राफी संकुल में सामान्य सोनोग्राफी करवा दी। महिला दलाल ने परीक्षण में लड़का होने की बात कहकर गर्भवती से 35 हजार रुपए ठग लिए। टीम ने दम्पती को गिरफ्तार कर ठगी गई राशि 35 हजार रुपए बरामद कर लिए। मामले में अनुसंधान किया जा रहा है।
चारा डिपो में हुई अनियमितता की जांच के लिए अधिकारी नियुक्त कोटा-बूंदी जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के पूर्व अध्यक्ष श्रीलाल गुंजल की ओर से सहकारी चारा डिपो खोलने में की गई अनियमितता की शिकायतों के बाद सरकार ने जांच शुरू कराई है। इस मामले के लिए राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फैडरेशन लिमिटेड ने उप रजिस्ट्रार सहकार समितियां, कोटा को जांच अधिकारी नियुक्त किया है।
संस्थागत विकास अधिकारी पूनम भार्गव ने इसके आदेश जारी किए हैं। सूत्राें ने बताया कि प्रारम्भिक जांच में चारा डिपो बनाने में अनियमितताएं सामने आई है। इसकी विस्तृत जांच की जाएगी। कागजों में चारा डिपो बनाने के लिए जो जमीन सहकारी समिति की बताई गई थी, वह आधार सही नहीं पाया गया। समिति के नाम पर कोई जमीन नहीं खरीदी गई है।
पिछले दिनों पूर्व अध्यक्ष गुंजल की ओर से निजी जमीन पर सहकारी फंड से 10 लाख रुपए का चारा डिपो बनाने का मामला पत्रिका ने उजागर किया था। सीएमओ तक मामला पहुंचने के बाद सहकारी विभाग के सहायक परियोजना अधिकारी से जांच करवाई गई थी। प्रारंभिक जांच के बाद सरकार को भेजी गई रिपोर्ट को बाद अब विस्तृत जांच की जा रही है। जिस जगह चारा डिपो बनाया गया है, वह जमीन बंधा दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती है। समिति के नाम पर कोई जमीन भी इन्द्राज नहीं है। केवल कागजों में खेल करके गुंजल ने अपनी पत्नी के नाम की जमीन पर सरकारी धन का दुरुपयोग कर लाखों रुपए का चारा डिपो बना लिया।
यह है मामला केंद्र सरकार के उपक्रम राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने 29 अक्टूबर 2014 को कोटा डेयरी को पत्र भेजकर डेयरी के अधीन आने वाली प्राथमिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों में 50 मीट्रिक टन चारा संग्रहण की क्षमता के बायोमास बंकर यानी चारा डिपो का प्रस्ताव भेजने को कहा था। इस पर बंधा समिति के समेत पांच सहकारी समितियों से प्रस्ताव लिए गए। चारा डिपो बनाने की पहली शर्त थी कि सहकारी समिति के पास खुद के स्वामित्व की जमीन होनी चाहिए। इस समिति के पास कोई जमीन नहीं थी। डेयरी के तत्कालीन अध्यक्ष श्रीलाल गुंजल की पत्नी के नाम धर्मपुरा में जमीन थी। आनन-फानन में इस जमीन का कुछ हिस्सा 29 दिसम्बर 2015 को समिति के नाम विक्रय पत्र कर दर्शा दिया गया। जबकि प्रस्ताव 15 नवम्बर 2015 को ही भेज दिया था। इसकी जमीन की समिति के नाम रजिस्ट्री भी नहीं करवाई। इसका खुलासा समिति की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है।
इन बिंदुओं की होगी जांच बायोमास बंकर बनाने के लिए बंधा दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति की ओर से लिए गए प्रस्ताव की जांच हाेगी।-बंधा दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति की ओर से भूमि क्रय प्रकरण की जांच होगी।
धर्मपुरा में जिस जगह बायोमास बंकर बना है, उसके राजस्व रेकॉर्ड की जांच होगी।