इस संबंध में गांव बिरोदी बड़ी निवासी ब्रह्मप्रकाश ने एसीबी में शिकायत दर्ज कराई थी। दो साल हुई जांच में भ्रष्टाचार पाया जाने पर एसीबी ने 10 अक्टूबर, 2002 को एफआईआर दर्ज की गई। आरोपी तत्कालीन प्रधान सुधा बगडिया, जेइएन सुखदेव सिंह एवं तत्कालीन विकास अधिकारी घनश्याम कुलदीप के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने एवं अपराध के पुख्ता सबूत नहीं होने के कारण एसीबी ने 8 मई, 2008 को तीनों को क्लीनचिट देते हुए उपरोक्त अन्य आठ अभियुक्तों के खिलाफ चालान पेश किया था। जांच में पता चला था कि वर्ष 2000 में स्वीकृत हुए अकाल राहत कार्य कराने के लिए पंचायत समिति को नोडल एजेंसी बनाया गया था। जिसके लिए 4 सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया गया। 35 मजदूरों के नाम फर्जी दिखाए गए। पीडब्ल्यूडी से कराई गई जांच में 3,31,354 रुपए का भ्रष्टाचार उजागर हुआ था।