इन धमाकों के निशां चाहे चांदपोल हनुमान मंदिर के पास स्थित बिजली के बॉक्स, त्रिपोलिया बाजार में बनी प्याऊ और जौहरी बाजार स्थित पताशी वाले के बर्तनों आदि में अब भी देखें जा सकते हैं। आज भी जयपुर के लोग दहशत भरी उस रात को नहीं भूल पाए हैं। लंबे इंतजार के बाद आखिरकार आज वह दिन आ ही गया जब जयपुर के गुनहगारों को सजा मिलेगी।
घर रोशन करने वाली के मुझे दीया जलाना पड़ रहा है बम धमाके में अपनी पत्नी सुशीला को खो चुके वेंकटेश्वर कॉलोनी सोढ़ाला निवासी राजेन्द्र साहू आज भी उस मंजर को नहीं भूल पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पांच साल के करीब दिन रात मैंने और बच्चों ने उसकी सेवा की। इसके बावजूद 1 मई, 2012 को वो हमारा साथ छोड़ कर चली गई।
मेरा घर को वो ही दीया जलाकर रोशन करती था, अब मुझे रोज सुबह—शाम उसकी तस्वीर को दीया जलाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उसे सच्ची श्रद्धांजलि तब ही होगी जब आरोपियों को कठोर से कठोर सजा मिले। गौरतलब है कि सुशीला चांदपोल हनुमान मंदिर में दर्शन कर लौटते समय बम धमाके में घायल हो गई थी। सिर में गहरी चोट लगने से वह कोमा में चली गई थी इस दौरान उनकी मौत हो गई थी।