... कोर्ट ने फीस एक्ट की पालना करवाने के आदेश दिया, किन्तु अभी तक कोई कार्यवाही नहीं
.. 9 महीनों से स्कूल बंद हैं बच्चों ने स्कूलों के संसाधन उपयोग में नहीं लिए, फिर भी फीस क्यों

स्कूल फीस मुद्दे को लेकर संघर्षरत संयुक्त अभिभावक संघ का कहना है कि सरकार कृषि कानून के सहारे स्वयं की जिम्मेदारियों से भाग रही है। संघ के प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि प्रदेश का अभिभावक पिछले 9 महीनों से निजी स्कूलों की हठधर्मिता का लगातार शिकार हो रहा है, जिसकी शिकायत शिक्षा अधिकारियों के साथ.साथ शिक्षा मंत्री को कई मर्तबा की जा चुकी है। राजस्थान हाईकोर्ट ने भी अपने आदेश स्पष्ट करवा दिए हैं किंतु अभी तक राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश की पालना तक सुनिश्चित तक नहीं हुई है। हाईकोर्ट के आदेश अनुसार 15 दिनों में पीटीए का गठन करना, उसके बाद एसएलएफसी का गठन कर फीस का बॉयफरकेशन करना अनिवार्य है जिसमें स्कूलों को प्रत्येक अभिभावक को बताना होगा कि वह फीस में ट्यूशन फीस कितनी ले रहे हैं और अन्य खर्चे कितने ले रहे हैं। हाईकोर्ट के आदेश जारी हुए आज 16 दिन हो गए हैं ना शिक्षा मंत्री हाईकोर्ट के आदेश का सम्मान करवा करवा रही है और ना ही शिक्षा अधिकारी हाईकोर्ट के आदेशों की पालना करवा रही है। इसके विपरीत राज्य सरकार केवल राजनीति स्वार्थ सिद्ध करने के लिए प्रदेश की जनता को धोखा दे रही है। उन्होंने कहा कि जिन अभिभावकों और बच्चों ने स्कूलों के संसाधन उपयोग में ही नहीं लिए, उनकी ऑनलाइन क्लास तक अटेंड नहीं की तो वह अभिभावक क्यों स्कूलों की फीस जमा करवाएगा, इसका जवाब आज 9 महीनों बाद भी राज्य सरकार नहीं दे रही है।
आखिरकार कोर्ट के आदेश की पालना करवाएगा कौन
संयुक्त अभिभावक संघ अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि 18 दिसम्बर को राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपने आदेश स्पष्ट कर दिए, जब स्कूल खुलेंगे तब सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों में 70 फीसदी और आरबीएसई बोर्ड के स्कूलों में 60 फीसदी ट्यूशन फीस ली जा सकेगी, अगर कोई इस दौरान ऑनलाइन क्लास ले रहे है तो उनको कैपेसिटी बिल्डिंग के रूप में 60 फीसदी केवल ट्यूशन फीस में से देनी होगी। किन्तु निजी स्कूल संचालक ना फीस एक्ट 2016 की पालना कर रहे हैं और ना ही फीस का कोई बायफ्रकेशन कर रहे हैं। आखिरकार राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश की पालना कौन करवाएगा।
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