सरकार की सिफारिश पर उठाया सवाल
विनय के वकील एपी सिंह ने चुनाव आयोग में याचिका दाखिल कर राष्ट्रपति के पास दया याचिका खारिज करने की दिल्ली सरकार की सिफारिश पर सवाल उठाया है। वकील सिंह ने याचिका में कहा कि जिस समय विनय की दया याचिका खारिज करने की सिफारिश दिल्ली सरकार ने राष्ट्रपति से की थी। उस समय दिल्ली में आचार संहिता लागू थी। भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है और चुनाव आयोग से भूलवश ऐसी गलती हुई तो उसमें सुधार होना चाहिए। शीर्ष कोर्ट में भी यह दलील नहीं दी थी। हमने चुनाव आयोग से संज्ञान लेने की मांग है।
3 मार्च, सुबह 6 बजे होनी है फांसी
निर्भया के सभी चारों दोषियों के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट ने 17 फरवरी को नए डेथ वारंट जारी किए थे। इसके अनुसार, दोषियों को 3 मार्च सुबह 6 बजे फांसी पर लटकाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि दोषियों के दो बार पहले भी डेथ वारंट रद्द हो चुके हैं।
सूरत में :3 साल की बच्ची से रेप के दोषी के डेथ वारंट पर रोक
नई दिल्ली. गुजरात के सूरत में वर्ष 2018 में तीन साल की बच्ची से बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी के डेथ वारंट पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रोक लगा दी। सीजेआइ शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने डेथ वारंट पर रोक लगाते हुए कहा कि हम जानना चाहते हैं कि मामले में स्पेशल लीव पिटिशन दाखिल करने की अवधि से पहले ही ट्रायल कोर्ट द्वारा डेथ वारंट जारी करने के आदेश कैसे पारित किए जा रहे हैं। न्यायिक प्रक्रिया को इस तरह से चलने की अनुमति नहीं दी जा सकती। उल्लेखनीय है कि गुजरात के एक कोर्ट ने मामले में 22 साल के युवक को मौत की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट द्वारा मौत की सजा पर पुष्टि करने के बाद इसके खिलाफ स्पेशल लीव पिटीशन दाखिल करने की अवधि से पहले डेथ वारंट जारी कर दिया गया था। इसी के बाद कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी। गौरतलब है कि 60 दिनों के भीतर मौत की सजा के खिलाफ चुनौती दायर की जा सकती है। हालांकि, इस मामले में हाइकोर्ट के आदेश के 33 दिन बाद ही डेथ वारंट जारी कर दिया गया था।
निर्भया के सभी चारों दोषियों के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट ने 17 फरवरी को नए डेथ वारंट जारी किए थे। इसके अनुसार, दोषियों को 3 मार्च सुबह 6 बजे फांसी पर लटकाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि दोषियों के दो बार पहले भी डेथ वारंट रद्द हो चुके हैं।
सूरत में :3 साल की बच्ची से रेप के दोषी के डेथ वारंट पर रोक
नई दिल्ली. गुजरात के सूरत में वर्ष 2018 में तीन साल की बच्ची से बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी के डेथ वारंट पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रोक लगा दी। सीजेआइ शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने डेथ वारंट पर रोक लगाते हुए कहा कि हम जानना चाहते हैं कि मामले में स्पेशल लीव पिटिशन दाखिल करने की अवधि से पहले ही ट्रायल कोर्ट द्वारा डेथ वारंट जारी करने के आदेश कैसे पारित किए जा रहे हैं। न्यायिक प्रक्रिया को इस तरह से चलने की अनुमति नहीं दी जा सकती। उल्लेखनीय है कि गुजरात के एक कोर्ट ने मामले में 22 साल के युवक को मौत की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट द्वारा मौत की सजा पर पुष्टि करने के बाद इसके खिलाफ स्पेशल लीव पिटीशन दाखिल करने की अवधि से पहले डेथ वारंट जारी कर दिया गया था। इसी के बाद कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी। गौरतलब है कि 60 दिनों के भीतर मौत की सजा के खिलाफ चुनौती दायर की जा सकती है। हालांकि, इस मामले में हाइकोर्ट के आदेश के 33 दिन बाद ही डेथ वारंट जारी कर दिया गया था।