कोटा निवासी 17 वर्षीय बालिका के पिता ने थाने में 20 सितंबर को अपहरण का मामला दर्ज करवाया था। जिस पर पुलिस ने बालिका को 20 फरवरी 2020 को दस्तायाब किया। मेडिकल करवाने पर पता चला की बालिका करीबन 23 सप्ताह की गर्भवती है। इस पर बाल कल्याण समिति ने बालिका के गर्भपात के लिए पोस्को न्यायालय कोटा में याचिका दायर की।
पोस्को न्यायालय ने बीस सप्ताह से ज्यादा गर्भ होने की वजह से अनुमति देने से इनकार करते हुए 24 फरवरी को याचिका खारिज कर दी। इस पर मामला जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोटा ने मामला राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (रालसा) को भेज दिया। रालसा की ओर से नियुक्त प्रोबोनो अधिवक्ता शालिनी श्योरॉण ने बुधवार को याचिका दायर की।
अदालत की अनुमति के बाद याचिका पर बुधवार दोपहर सुनवाई हुई। जहां पर अधिवक्ता श्योरॉण ने कहा कि बलात्कार का मामला दर्ज हुआ है। मामले में लड़की के भविष्य को देखते हुए तत्काल गर्भपात की अनुमति दी जानी चाहिए। एक्ट में 20 सप्ताह के बाद गर्भपात पर रोक नहीं लगाई है केवल मेडिकल बोर्ड से परीक्षण की बात है और बालिका का मेडिकल हो चुका है। किसी भी स्थिति में इस तरह के बच्चे को जन्म देने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए। यह बालिका और नवजात दोनों के हित में होगा।
जिस पर न्यायाधीश पंकज भंडारी ने सरकारी वकील की उपस्थिति दर्ज करने के बाद जल्द से जल्द कोटा के सीएमएचओ को एक मेडिकल बोर्ड बनाने को कहा है। जो कि बालिका के स्वास्थ्य की जांच करेगा और संभव होने पर गर्भपात किया जाएगा। इसी के साथ थाना पुलिस को मामले की जांच के लिए भ्रूण को सुरक्षित रखने के लिए कहा है।