कोरोना संक्रमितों के आइसोलेशन के लिए रेलवे ने एक साल पहले जयपुर, अजमेर, बीकानेर और जोधपुर मंडल में ट्रेन की बोगियों में सर्व सुविधायुक्त कोविड केयर कोच बनाए थे। प्रदेश के 6 शहरों के पास ऐसे कोच अलग-अलग स्टेशन पर खड़े हैं। रेलवे ने इसकी जानकारी प्रशासन को दे रखी है, लेकिन प्रशासन ने एक साल में इनका इस्तेमाल नहीं किया है।
एक कोच में 16 मरीज रख सकते हैं
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक एक कोच में 16 मरीज आइसोलेट किए जा सकते हैं और हर कोच में मेडिकल स्टाफ के लिए अलग केबिन बनाए गए हैं। यहां ऑक्सीजन की व्यवस्था भी है।अधिकारियों की मानें तो प्रत्येक बोगी को तैयार करने में 50 हजार से अधिक खर्चा आया है।
प्रत्येक कोच में यह व्यवस्था
– साइड व अपर सीट हटाकर केबिन बनाया, जिसमें ऑक्सीजन सिलेंडर सहित अन्य मशीनें लगाने की व्यवस्था है। — कोच में बाथरूम को लैब में बदल दिया है। — प्रत्येक कोच का पहला केबिन डॉक्टर और अंतिम केबिन स्टाफ के लिए सुरक्षित।
– केबिन में डस्टबिन, डिस्पोजेबल बेड, चादर, तौलिया, थाली, प्लेट, गिलास की व्यवस्था। — खिड़कियां और गेट मछरदानी से ढक दिए गए हैं। – एक कोच में डॉक्टर-नर्स के अलावा 16 बेड की सुविधा।
— कोच में ऑक्सीजन के लिए होल्डर्स और कई कोच में ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था। —चिकित्सा उपकरणों के लिए प्रत्येक डिब्बे में 220 वोल्ट बिजली का प्रावधान। — मेडिकल सामग्री रखने के लिए हर केबिन में दो बोतल होल्डर।
– शौचालय व स्नानागार की व्यवस्था। टायलेट में नल ऊंचा किया, जिससे बाल्टी भरी जा सके।
रेलवे बोर्ड ने पत्र लिखा, मरीजों का इंतजार
रेलवे अधिकारियों ने कहा कि 19 अप्रेल को रेलवे बोर्ड ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा कि कोच पूरी तैयार है, सरकार चाहे तो उपयोग कर सकती है, लेकिर राज्य सरकार ने उपयोग नहीं किया। हालांकि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में उपयोग लिए जा रहे हैं। गत वर्ष भी 266 कोच तैयार किए। जिनमें यहां एक भी मरीज भर्ती नहीं हुआ था।
मंडल — आइसोलेशन कोच —बेड
जयपुर मंडल —47 — 752
अजमेर मंडल- 83 — 1328 जोधपुर मंडल – 33 — 528
बीकानेर मंडल —39 — 624 यहां तैयार खड़े हैं आइसोलेशन कोच
– जयपुर
– अजमेर (मदार )
-उदयपुर
– जोधपुर
– बीकानेर
– लालगढ़ (बीकानेर )
रेलवे के आइसोलेशन कोच बतौर कोविड केयर सेंटर तैयार किए गए है। उनमें गंभीर स्थिति में मरीज को नहीं रख सकते। वर्तमान में कोरोना के मामूली व हल्के लक्षण के मरीज घर में ही ठीक हो रहे हैं। जिन्हें ज्यादा दिक्कत है वे अस्पताल आ रहे हैं। ऐसी स्थिति में जरुरत नहीं पड़ी। अगर जरूरत पड़ी तो जरूर काम में लेंगे।
डॉ. के.के. शर्मा, निदेशक जन स्वास्थ्य, चिकित्सा विभाग