राठौड़ ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना संकट में कोरोना संक्रमित मरीजों की जान बचाने के लिए एक ओर राज्य सरकार अस्पतालों में वेंटिलेटर की कमी का रोना रो रही है, वहीं दूसरी ओर प्रशासन के आला अधिकारी सांठगांठ कर गरीब जनता के हक के वेंटिलेटर को निजी अस्पतालों को भेज रहे हैं, जहां इन अस्पतालों द्वारा सरकारी वेंटिलेटर का उपयोग कर प्रतिदिन लाखों रुपये चार्ज मरीजों से वसूला जा रहा है। राठौड़ ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं चरमरा गई है और जीवन रक्षक उपकरण वेंटिलेटर सहित अन्य संसाधनों के अभाव में मरीज जिंदगी की जंग हार रहे हैं। राज्य सरकार के कुप्रबंधन व प्रशासन की मिलीभगत का खामियाजा अधिकतर मरीजों को अपनी जान गंवाकर चुकाना पड़ रहा है क्योंकि उनके हक के सरकारी संसाधनों को मनमर्जी से निजी अस्पतालों को दिया जा रहा है। राठौड़ ने कहा कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकारी वेंटिलेटर का उपयोग कर निजी अस्पताल मरीजों से भारी भरकम दाम वसूल रहे हैं। यह मामला उजागर होने के बाद अब जिला प्रशासन अपनी नाकामी छिपाने के लिए एक वेंटिलेटर के उपयोग की एवज में 2 हजार रुपए प्रतिदिन का किराया वसूलने का आदेश देकर स्वयं को क्लीन चिट देने का प्रयास कर रहा है।