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विवाह स्थल संचालकों को नहीं मिली राहत, 25 मेहमानों के लिए कौन बुक कराएगा मैरिज गार्डन

locationजयपुरPublished: Jun 26, 2021 09:41:05 pm

Submitted by:

Umesh Sharma

राज्य सरकार ने घटते कोरोना केसेज को देखते हुए त्रिस्तरीय जन-अनुशासन दिशा-निर्देश 3.0 के तहत कुछ और छूट जारी की है। इसके तहत एक जुलाई से विवाह समारोह में 40 लोगों की छूट दी गई है। इसमें मेहमानों की संख्या 25 रखी गई है। इतने कम मेहमानों के लिए विवाह स्थलों की बुकिंग होना मुश्किल है। ऐसें में विवाह स्थल संचालकों को को देवशयन एकादशी तक इंतजार करना होगा।

विवाह स्थल संचालकों को नहीं मिली राहत, 25 मेहमानों के लिए कौन बुक कराएगा मैरिज गार्डन

विवाह स्थल संचालकों को नहीं मिली राहत, 25 मेहमानों के लिए कौन बुक कराएगा मैरिज गार्डन

जयपुर।

राज्य सरकार ने घटते कोरोना केसेज को देखते हुए त्रिस्तरीय जन-अनुशासन दिशा-निर्देश 3.0 के तहत कुछ और छूट जारी की है। इसके तहत बाजारों को शाम 7 बजे तक खोलने, रोडवेज बसों का संचालन 8 बजे तक करने जैसी छूट शामिल की गई है। इन दिशा-निर्देशों में एक जुलाई से विवाह समारोह में 40 लोगों की छूट दी गई है। इसमें मेहमानों की संख्या 25 रखी गई है। इतने कम मेहमानों के लिए विवाह स्थलों की बुकिंग होना मुश्किल है। ऐसें में विवाह स्थल संचालकों को को देवशयन एकादशी तक इंतजार करना होगा।
राजस्थान टैट डीलर्स किराया व्यवसायी समिति के चेयरमैन रवि जिंदल ने कहा कि विवाह स्थल संचालकों को उम्मीद थी कि सरकार 200 मेहमानों की छूट देगी, ताकि दम तोड़ते व्यापार को थोड़ी गति मिल सके, लेकिन सरकार की इस छूट का विवाह स्थल संचालकों ने विरोध किया है। संचालकों का कहना है कि 25 व्यक्तियों के शामिल होने की छूट बहुत कम है। राजस्थान से कोरोना लगभग जा चुका है। सरकार वेडिंग इंडस्ट्रीज़ से जुड़े 5 लाख व्यापारियों की रोज़ी रोटी ख़त्म कर रही है। व्यापारियों ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि पुनर्विचार कर 1 जुलाई से कम से कम 100 व्यक्तियों के शामिल होने की छूट अवश्य दे ताकि 18 जुलाई तक चार—पांच शादी समारोह में वेडिंग व्यापारियों को कुछ अपना सीजनल व्यापार कर सकें।
आपको बता दें कि कोरोना के चलते पिछले सवा साल में सर्वाधिक नुकसान टैंट, विवाह स्थल संचालकों को हुआ है। शादी-ब्याह में ज्यादा मेहमानों के शामिल होने की छूट नहीं मिलने से विवाह स्थल सूने रहे। अब जुलाई में देवशयन के बाद विवाह स्थल संचालकों को चार महीने का इंतजार करना पड़ेगा।
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