राठौड़ ने कहा कि कोरोना के विरुद्ध युद्ध में टीकाकरण अभियान जब तक देश के सभी राज्यों में समान रूप से नहीं होगा तब तक सुरक्षाचक्र का बनना संभव नहीं होगा। जहां एक ओर देश में हर राज्य की सरकारें टीकाकरण अभियान को गति देने में प्रयासरत हैं। वहीं ऐसे कठिन समय में राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा का 18 से 44 आयु वर्ग के लाभार्थियों को वैक्सीनेशन के पश्चात् मिलने वाले सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री की फोटो नहीं लगाने को लेकर दिया गया बयान ना केवल बचकाना है बल्कि कोरोना के कारण काल के ग्रास में जा रहे लोगों के जख्मों पर नमक छिड़कने के समान है। चिकित्सा मंत्री शायद यह भूल गए हैं कि देश के प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व का ही नतीजा है कि वैश्विक महामारी कोरोना काल में समूचे विश्व में वैक्सीन का इजाद और उत्पाद सबसे पहले भारत ने ही किया था और सबसे विशाल टीकाकरण अभियान का शुभारंभ कर देशभर में वैक्सीन लगाने का बीड़ा उठाया था।
राठौड़ ने कहा कि अच्छा रहता कि चिकित्सा मंत्री केन्द्र सरकार द्वारा 10 माह पूर्व आवंटित 1500 वेंटिलेटरों को प्रारंभ करने तथा जनवरी माह में पीएम केयर्स फंड से स्वीकृत प्रदेश के बीकानेर, जोधपुर, अलवर व जयपुर में ऑक्सीजन प्लांट को प्रारंभ करने की चिंता करते। अगर सरकार कोरोना संक्रमण की भयावहता को लेकर पूर्व में ही सावचेत होकर कोरोना रोकथाम के लिए कुशल प्रबंधन कर लेती तो आज राजस्थान ऑक्सीजन को लेकर आत्मनिर्भर प्रदेश की श्रेणी में शामिल होता और ऑक्सीजन को लेकर लोगों को दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर नहीं होना पड़ता।