राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार मुफ्त वैक्सीनेशन की मांग कर रही है, जबकि प्रदेश में वैक्सीन को बर्बाद किया जा रहा है। युवाओं के वैक्सीनेशन के लिए राज्य सरकार ने बजट में 3 हजार करोड़ का प्रावधान किया था। यह राशि कहां खर्च हुई, सरकार इसकी जानकारी दे। उन्होंने जोधपुर में 125 करोड़ की लागत से ऑडिटोरियम के शिलान्यास पर सवाल उठाया और कहा कि सरकार कहती है कि वैक्सीनेशन के लिए पैसा नहीं है, लेकिन मुख्यमंत्री के गृह जिले में ऑडिटोरियम के शिलान्यास के लिए पैसा है। उन्होंने वैक्सीनेशन को लेकर प्राथमिकता तय करने की मांग की कि पहले वैक्सीनेशन जरूरी है या जोधपुर में ऑडिटोरियम क्योंकि जब युवा बचेंगे ही नहीं तो ऑडिटोरियम का उपयोग कौन करेगा। वैक्सीनेशन मामले में राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देने को राज्यवर्धन ने जनता की समस्या और खुद की नाकामियों पर से ध्यान भटकाने की एक साजिश बताया।
ब्लैक फंगस के इंजेक्शन बेच रही है सरकार राठौड़ ने सरकार पर ब्लैक फंगस के इंजेक्शन निजी अस्पतालों को बेचने के आरोप भी लगाए। उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों को सरकार कह रही है कि आप हमसे इंजेक्शन खरीदो। इसके लिए 10-10 लाख रुपए डिपॉजिट भी करें। इस वजह से ही अस्पतालों में ब्लैक फंगस के मरीजों को इंजेक्शन नहीं लग पा रहे हैं।
राजस्थान में विपक्ष की भूमिका निभा रही है सरकार राठौड़ ने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस सत्ता की बजाय विपक्ष की भूमिका में नजर आ रही है। केंद्र में कांग्रेस विपक्ष में है इसीलिए मुख्यमंत्री भी राजस्थान में विपक्ष की भूमिका निभाते हैं। इस सरकार ने तो राजस्थान की मर्यादा भी अपने आलाकमान की चौखट पर टेक दी है।
ताकि अनुग्रह राशि नहीं देनी पड़े राठौड़ ने आरोप लगाया कि राजस्थान में कोरोना से अनाथ हुए बच्चों के लिए सरकार ने कोई कार्ययोजना नहीं बनाई। इसी तरह कोरोना से मरे राज्यकर्मियों को अब तक 50 लाख रुपए की अनुग्रह राशि का लाभ नहीं मिल पाया है। जानबूझकर सरकार कोरोना से मौत को भी अन्य बीमारी से मौत बता रही है, ताकि उन्हें अनुग्रह राशि नहीं देनी पड़े।