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कब तक ऐसे मरता रहेगा गौवंश! मुस्लिम हमदर्द अपने खर्चे पर जख्मी गाय को लेकर पहुंचा अस्पताल, कर्मचारियों ने रखने से किया मना

locationजयपुरPublished: Nov 06, 2017 10:46:41 am

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dinesh

72 घण्टे बाद भी नहीं थमा लापरवाही का सिलसिला, एक गाय और बछड़े को लेकर पहुंचे लोगों को अंदर ही नहीं आने दिया…

Cow
जयपुर। गौवंश की मौत का बाड़ा बनीं पांच बत्ती स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय की जीव परिष्द कल्याण गौशाला में लापरवाही का सिलसिला 72 घण्टे बाद भी नहीं थमा है। रविवार को इलाज के लिए दुघर्टनाग्रस्त एक गाय और बछड़े को इलाज के लिए लेकर पहुंचे हमदर्द गौवंश को लेकर यहां वहां भटकते रहे। चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार करने के बाद पल्ला झाड़ लिया।
वहीं जीव कल्याण परिषद में इन घायल जानवरों को भर्ती करने को कहा तो वहां के कर्मचारी प्रमोद ने उन्हें हिंगोनिया गौशाला ले जाने की सलाह दे दी। जबकि गौशाला का सुपरवाइजर कुञ्जबिहारी जिम्मेदारी से बचकर गौशाला में ही छिप गए। गाय और बछड़े को लेकर पहुंचे दोनों लोग इस दौरान करीब 4 घण्टे तक परेशान होते रहे।
चाकसू से लाए अपने खर्चे पर ले गए सांगानेर
घाटगेट निवासी मोहम्मद इशाक मछलियां सप्लाई करने चाकसू गए थे। दोपहर 12.30 बजे करीब वापसी में उन्हें कुछ लोगों ने घायल गाय को पांच बत्ती पशु चिकित्सालय पहुंचाने को कहा। जख्मी गाय और लोगों के भरोसे के बाद इशाक अपने ऑटो में गाय को अकेले चिकित्सालय लेकर आए। यहां गौशाला वालों ने उन्हें गाड़ी अंदर लाने के लिए मना कर दिया। जैसे-तैसे गाय का प्राथमिक उपचार के बाद जब इशाक ने गौशाला के कर्मचारियों को गाय रखने को कहा, तो उन्होंने रखने से इंकार कर दिया और हिंगोनिया गौशाला ले जाने को कहा। इस पर इशाक ने गाय को वहीं छोडऩे की बात कही तो उसके साथ झगडऩे लगे। इन सब में करीब चार घण्टे तक इशाक गौरक्षकों, गाय को भेजने वालों और गौशाला कर्मचारियों को मिन्नतें करते रहे।
इलाज किया भर्ती नहीं
ऐसे ही जगन्नाथपुरी, त्रिवेणी नगर में कॉलोनी में एक बछड़ा तीन दिन से घायलावस्था में पड़ा था। जब कोई उसकी सुध लेने नहीं आया तब कॉलोनी के ही राजेश कुमार शर्मा उसे ऑटो में लेकर अस्पताल आए थे। चिकित्सकों ने इलाज तो किया लेकिन आउटडोर का कह कर गौशाला में रखने को बोल दिया। गौशाला कर्मचारी ने उन्हें भी हिंगोनिया गौशाला ले जाने को बोला। पत्रिका संवाददाता ने जब इस पर कर्मचारी से बात की तो उन्होंने बोला कि हमें ऐसे ही आदेश हैं। दोपहर ढाई बजे लाए बछड़े को शाम को सांगानेर स्थित एक गौशाला में ले जाया गया।
फिर दिखी लापरवाही, जिम्मेदार छिपते रहे
25 सलों से गौवंश की सेवा करने का दम भरने वाले जीव कल्याण परिषद के सचिव डॉ. डीएस भण्डारी से जब इस मुद्दे पर पत्रिका संवाददाता ने बात की तो उन्होंने टका सा जवाब देते हुए कहा कि गौशाला में दीवारें उठाने और व्यवस्था दुरुस्त होने तक वो किसी गौवंश को यहां नहीं रखेंगे। पत्रिका ने जब उनसे सवाल किया कि इन 72 घण्टों में संस्था की ओर से इस संबंध में कोई नोटिफिकेशन और सूचना भी जारी नहीं की गई है तो वो जल्द करवाने का कहने लगे। जबकि इन तीन दिनों में सूचना प्रेषित कर लोगों को जानकारी देनी चाहिए थी कि व्यवस्थाएं पटरी पर आने तक यहां कोई गौवंश नहीं लाया जाए ताकि लाने वाले उसे पिंजरापोल या हिंगोनिया गौशाला ले जाए।
वहीं सुपरवाइजर कुञ्जबिहारी मौके पर होने के बाद भी बात करने से बचते रहे और सामने नहीं आए। बाद में चुपचाप चिकित्सालय से खिसक गए। अपने पैसे लेकर गए दूसरी गौशाला गाय और बछड़े की खस्ताहालत को देखकर राजस्थान गौसेवा समिति के प्रदेशाध्यक्ष महंत दिनेश गिरी को घटना के संबंध में जानकारी दी तो उन्होंने सांगानेर स्कित जोथड़ा गांव की एक गौशाला में फोन कर पशु चिकित्सालय से दोनों पशुओं को लाने के लिए कहा। इस पर जोथड़ा गौशाला से आए एक व्यक्ति ने अपने खर्चे पर दोनों जख्मी जानवरों को सांगानेर अपने साथ ले गए। जानवरों के वहां से जाते ही गौशाला के कर्मचारी भी इधर-उधर हो गए।
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