scriptराजस्थान में जल्द शुरू होंगे Cow Hostels, वहां पाली जा सकेंगी गाएं, मिलेगा गाय का शुद्ध दूध | Cow hostels will now be set up in Rajasthan for the protection of cows | Patrika News

राजस्थान में जल्द शुरू होंगे Cow Hostels, वहां पाली जा सकेंगी गाएं, मिलेगा गाय का शुद्ध दूध

locationजयपुरPublished: Dec 14, 2019 03:22:02 pm

Centrघर में जगह नहीं तो अब हॉस्टल में रख सकेंगे गाय: केंद्रीय मंत्री रूपाला, ज्ञानम् फेस्टिवल में आए केंद्रीय मंत्री ने जैविक खेती को बढ़ावा देने की कही बात और मिट्टी के बिगड़े स्वास्थ्य की जताई चिंता

Hunger and thirst in the illegal enclosure of the district

Hunger and thirst in the illegal enclosure of the district

देवेन्द्र सिंह राठौड़ / जयपुर। किसान की आय इजाफा और समाज के स्वास्थ्य में सुधार हमारा पहला लक्ष्य है। काउ (गाय) हॉस्टल एक नया कांसेप्ट है। जिस प्रकार हम बच्चों को हॉस्टल में रखते है। उसी प्रकार घर में जगह नहीं होने पर आप गाय को हॉस्टल में रखकर उसके रखने की फीस देकर दूध ले सकते है। गुजरात में ऐसा एक हॉस्टल चल रहा है। केंद्र सरकार इस पर काम कर रही है। जल्द ऐसा देशभर में देखने को मिलेगी। सरकार इसमें हर संभव मदद करेगी। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने यह बात शनिवार को जवाहर कला केंद्र में ज्ञानम फेस्टिवल में आयोजित अन्नं ब्रह्म जैसा खाए अन्न, वैसा होय मन जैविक खेती कसौटी पर कार्यक्रम में कही।
उन्होंने कहा कि, आज हर कोई बच्चों को महंगी कार, मकान आदि सुख सुविधाए तो दिलवा सकते है, लेकिन शुद्ध खानपान नहीं करा सकते। मनुष्य चाहकर भी ऐसा नहीं कर पा रहा। गाय के गोबर और मूत्र का अपना अलग महत्व है। उन्होंने कहा कि देश के किसानों में परम्परागत खेती करने का रूतबा व्याप्त है। जरूरत उसे आगे बढ़ाने की है। परम्परागत खेती से गोपालन को भी बढ़ावा मिलता है। ऐसे में जैविक खेती को आगे बढ़ाने में केंद्र सरकार सहायता कर रही है। राज्य सरकारों से भी प्रस्ताव मांग रही है। केंद्रीय मंत्री ने जैविक राज्य के तौर पर सिक्किम की भी तारीफ की।
खराब हो गया मिट्टी का स्वास्थ्य

वहीं सत्र में किसान भंवर सिंह पीलीबंगा ने बताया कि किसानों को जैविक खेती का पूरा ज्ञान नहीं है। मिट्टी का स्वास्थ्य काफी कमजोर हो गया है। उसकी जैविक खेती की क्षमता कमजोर हो गई है। 14 हजार किलोमीटर घूमने के बाद मुझे मात्र 3 खेत नजर आए। जहां गाय के मूत्र व गोबर का इस्तेमाल खेती में किया जा रहा है। कीटनाशकों के ज्यादा उपयोग से मिट्टी में कार्बन खत्म हो गए। पोषण तत्व देने के लिए जीवाणु व सुक्ष्म तत्व भी नष्ट हो गए। यहीं वजह है कि, हमारी थाली में पौषक तत्व नजर नहीं आ रहे है।
खाना नहीं धरती माता बीमार हो गई

-डॉ. अतुल गुप्ता ने कहा कि हमारा खाना बीमार नहीं, धरती माता को बीमारी हो गई है। धरती को निरोगी बनाने का काम किया जाए, ताकि भारत को शक्तिशाली बता सकें। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 2673 गौशाला है। उसमें 9 लाख गाय और उनका 90 लाख किलोग्राम गोबर का उत्पादन होता है। उस खाद का सही उपयोग किया जाए तो सालाना 90 हजार हैक्टेयर भूमि को जैविक भूमि का स्वरुप मिल सकता है।
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