स्वामी प्रियम बताते हैं कि गौसेवा का मानसिकता पर भी बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। गौ इस पृथ्वी पर सबसे बेहतर प्राणी है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि किसी बालक को माता के बाद दुग्धपान कराने के लिए गौमाता का दूग्ध सबसे उत्तम माना जाता है। गौ से निकले दुग्ध का हर उत्पाद न केवल मनुष्य के शरीर को सौष्ठव प्रदान करता है बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है।
स्वामी प्रियम बताते हैं सावन का माह चल रहा है। भगवान शिव के साथ गाय का एक विशेष स्थान है। भगवान शिव का घोड़ा नंदी एक बैल है। इंद्र के पास कामधेनु यानी इच्छापूर्ति करने वाली गाय है। कृष्ण का पूरा चरित ही इन गायों के बीच गुजरता है। ऐसे में हिंदू धर्म में गाय को गौमाता कहा जाता है। एक बहुत ही पावन स्थान है। स्वामी प्रियम सभी अनुयायियों से गौ सेवा करने का आहावान करते हैं। वह कहते हैं कि गौसेवा पुण्य अर्जित करने का यह सबसे अच्छा तरीका है।