scriptसंकट में गोशालाएं, न तो चारा आ रहा और न ही दूध बिक रहा | Cows in crisis, neither fodder nor milk is sold | Patrika News

संकट में गोशालाएं, न तो चारा आ रहा और न ही दूध बिक रहा

locationजयपुरPublished: Apr 09, 2020 05:02:27 pm

Submitted by:

jagdish paraliya

कोरोना की वजह से गोशालाओं में होने लगी चारे की किल्लत, प्रदेश के बाहर से नहीं आ पा रही चारे की गाडि़यां

Cows in crisis, neither fodder nor milk is sold

Due to Corona, there is shortage of fodder in the cowsheds, fodder vehicles are not coming from outside the state

तीन दिन का चारा, सीएम को लिखा पत्र
पत्रिका. सांचोर में गोधाम पथमेड़ा के अधीन करीब 1 लाख गोवंश जिसमे गोधाम पथमेड़ा, पलादर, धमाणा, चोरा, नंदीशाला गोलासन, खिरोड़ी, पलाडी, हिड्वाड़ा, नन्दगंव इसके अतिरिक्त सत्यपुर गोशाला सांचोर, महावीर जीवदया गोशाला सांचोर, माखुपुरा, हाड़चा में गोवंश का पालन हो रहा है। फिलहाल भामाशाहों के सहयोग से गौशालाओ को संचालित किया जा रहा है। मदद के लिये गोधाम पथमेड़ा के संस्थापक दत्तशरणानंद महाराज ने सीएम को पत्र लिखा है। गोशाला में महज तीन दिन का स्टॉक बचा होने की बात कही थी। झुंझुनूं जिले में पशुपालन विभाग के अधीन 70 गोशालाएं पंजीकृत हैं। सरकार ने गाोशालाओं में चारा लाने के लिए ट्रकों के जरिए दूसरे राज्यों में जाने की अनुमति दी है। अजमेर के नागफणी स्थित आनंद गौशाला में चारा-कुट्टी करीब 50 क्विंटल तक उपलब्ध है। हरे चारे की एक गाड़ी प्रतिदिन सुबह 5 बजे तक आ रही है। राजसमंद के धेनुगोपाल गोशाला में इस समय 600 से अधिक गोवंश हैं। चारे की व्यवस्था जनसहयोग से की जा रही है। श्री कृष्ण गोशाला में कुछ अनुदान तो अधिकतर जनसहयोग से संचालित होती है। कोटा में नगर निगम की ओर से बंधा धर्मपुरा में गौशाला संचालित की जा रही है। नागौर जिले की श्री कृष्ण गोपाल गो सेवा समिति द्वारा संचालित गो चिकित्सालय है। यहां पहले से रखे चारे व पशु आहार से काम चलाया जा रहा है। सीकर जिले में पशुपालन विभाग के अधीन 115 गोशाला है। सरकार ने गौशालाओं मैं चारा लाने के लिए ट्रकों के जरिए दूसरे राज्यों में जाने की अनुमति दी है। बांसवाड़ा जिले में छह गोशालाएं संचालित हैं, वर्तमान हालात में भी पशुचारे आदि की उपलब्धता नहीं है। जोधपुर में 50 गौशालाएं है जिसमे अधिकांश के पास 10 से 15 दिन का चारा बचा है। चित्तौडग़ढ़ जिले में गोशाला मण्डफिया में सांवलियाजी मंदिर मंडल के माध्यम से संचालित है। इनके लिए चारे की व्यवस्था गोशाला की भूमि पर उगने वाले हरे चारे व खांकले से ही हो जाती है।
प्रदेश में लगभग 2800 अनुदानित गोशालाएं हैं। पूर्व में इन्हें तीन माह का अनुदान वेरिफिकेशन के बाद दिया जाता था, लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए सभी गोशालाओं को एक माह का अनुदान देने के आदेश पांच- छह दिन पहले जारी कर दिए थे। जयपुर में कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है, गोशाला संचालक अपनी परेशानी की जानकारी वहां अधिकारियों को दे सकते हैं। इसके अनुरूप सरकार प्रबंध करेगी।
प्रमोद जैन भाया, गो पालन मंत्री
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