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जयपुर

शौक एेसा कि दर्शक दीर्घा में भी शुरू हो जाती है कमेंट्री

देवेन्द्र कुमार इंग्लिश कमेंट्री में बना रहे हैं पहचान, कई इंटरनेशनल मैचों में कर चुके हैं कमेंट्री

जयपुरMay 17, 2018 / 03:29 am

Aryan Sharma

Jaipur
जयपुर . जोधपुर के एक छोटे से गांव में जन्मे देवेन्द्र कुमार अपने कमेंट्री पैशन से इन दिनों खासी सुर्खियों में हैं। जयपुर में आयोजित हो रहे आइपीएल मैचों के दौरान दर्शकों के बीच बैठकर लाइव मैच की इंग्लिश कमेंट्री करते हुए देवेन्द्र लोगों से जमकर तालियां भी बटोर रहे हैं। 12वीं तक सरकारी स्कूल में पढ़े देवेन्द्र इंटरनेशनल मैचों की कमेंट्री के लिए दुबई, अफगानिस्तान जैसी जगहों पर भी नजर आ चुके हैं। देवेन्द्र ने कहा कि बीबीसी पर होने वाली क्रिकेट कमेंट्री से मेरा अट्रैक्शन बढ़ा और 1998 में सचिन की बैटिंग से जुड़ी कमेंट्री को सुनने के बाद मेरा दिल कहीं भी नहीं लगता था। इसलिए उस दौरान रोज लगभग 10 घंटे अलग-अलग खेलों की कमेंट्री सुनने लगा और उसे बोलकर रिपीट करने लगा। उस समय टोनी ग्रेग का अंदाज सबसे ज्यादा प्रभावी लगता था।
बीसीसीआइ के लिए टेस्ट प्लेयर होना जरूरी
बीसीसीआइ के मैचों के लिए कमेंट्री नहीं करने का थोड़ा दुख है, लेकिन यहां होने वाले मैचों में आने वाले इंटरनेशनल कमेंट्रेटर्स के साथ दोस्ती है और हमेशा मैचों पर डिस्कशन होता रहता है। बीसीसीआइ सिर्फ उन्हीं को कमेंट्री का मौका देती है, जिन्होंने इंडिया की तरफ से टेस्ट खेला हो। हालांकि मेरा मानना है कि कभी तो कोई मेरे टैलेंट को देखकर एक बार मौका देगा या नियमों में बदलाव कर इंडियन कमेंट्रेटर का तगमा देगा। दुबई में डैनी मॉरिसन के साथ कमेंट्री की थी और उन्होंने काफी तारीफ की।
एेसे शौक के लिए पागलपंती जरूरी है

देवेन्द्र ने कहा कि 2006 में जयपुर में चैम्पियंस ट्राफी चल रही थी और जोधपुर में स्थानीय टूर्नामेंट हो रहा था। जोधपुर के टूर्नामेंट में कमेंट्री करने का मौका मिला। यहां से कुछ पैसा कमाई के रूप में अर्जित किया और जयपुर में कुछ मैच देखने के लिए आ गया। एसएमएस स्टेडियम में दर्शक दीर्घा में लाइव मैच की कमेंट्री करने लगा, दर्शकों को शुरू में थोड़ा अजीब लगा, लेकिन मेरी कमेंट्री सुनकर सभी तालियां बजाने लगे। इसके बाद दर्शक दीर्घा में ही कमेंट्री करना शुरू कर दिया। जयपुर के स्टेडियम में बच्चों को प्रैक्टिस करते देखने आता था और वहीं उनकी बैटिंग के आधार पर कमेंट्री करने लग जाता। यहां से काफी दोस्त भी मिले और कुछ मैचेज में कमेंट्री करने का मौका भी मिला।
ग्रेग चैपल ने की मदद
देवेन्द्र ने बताया कि सिर्फ ग्रेग चैपल ने मेरी सबसे ज्यादा मदद की है। जब वे आरसीए से जुड़े थे, तब ग्रेग मुझसे टेक्निकल नॉलेज शेयर किया करते थे। साथ ही कई बार फ्रेंडली मैच में कमेंट्री करने का मौका भी दिया करते थे। वे कहते थे कि हमेशा खुद से सीखो और अपनी अलग दुनिया बनाओ। देवेन्द्र ने बताया कि 2017 में अफगानिस्तान-आयरलैंड सीरीज में तीन इंटरनेशनल वनडे और जिम्बाब्वे-अफगानिस्तान सीरीज में 5 वनडे और दो टी-20 मैच में कमेंट्री करने का मौका मिला था।
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