राठौड़ ने कहा कि गहलोत सरकार यह दावे करते हुए थकती नहीं कि वह अपराध पर लगाम लगाकर अपराधियों को जेल भेज रही है। उनके खोखले दावों की सच्चाई तब सामने आ गई जब पुलिस को खुली चुनौती देते हुए कैदी बड़े आराम से फरार हो गए और जेल कर्मचारियों ने ना तो शोर मचाया, ना बंदियों का पीछा किया और ना ही महज 20 फीट दूर ऑफिस में मौजूद एसडीम को इतनी बड़ी वारदात की सूचना तक देना मुनासिब समझा। यह सारा घटनाक्रम कैदियों व जेल कर्मचारियों की मिलीभगत की आशंका को प्रबल करता है।
राठौड़ ने कहा कि राजस्थान में चारों तरफ अपराध और अपराधियों का तांडव है और जेल की सुरक्षा भी भगवान भरोसे है। प्रदेश की जेलों में गैंगवार होना, कैदियों द्वारा फोन पर लोगों को धमकाकर रंगदारी मांगना व जेल में ही पुलिस के साथ मारपीट करने जैसी कई आपराधिक घटनाएं अब आम बात हो गई है। जेल की सुरक्षा अव्यवस्थाओं का शिकार हो रही है और प्रशासन सब कुछ जानकर भी मूकदर्शक बना हुआ है। राठौड़ ने कहा कि राजस्थान में कानून व्यवस्था वेंटिलेटर पर है। सरकार अपराधों पर लगाम लगा पाने में असमर्थ साबित हो रही है जिससे आम लोगों का जीना दुभर हो गया है और वह दहशतगर्दी के माहौल में जीने को मजबूर है।