दरअसल, फलसावटा गांव में नहर के पानी ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। माइनर अवरुद्ध होने से खेत जलमग्न हो गए। यहां फसलें डूब गई हैं। पांच दिन बाद भी जब सरकारी तंत्र ने किसानों की पीड़ा नही सुनी तो अब बेबस किसान खुद अपने स्तर पर पानी मे डूबी फसल को बचाने के लिए पम्प सेट से खेतों में भरा पानी निकालने में लगे हैं, खेतों में भारी मात्रा में जलभराव के चलते किसानों का यह प्रयास कारगर साबित नहीं हो रहा है। जितना पानी खेत से बाहर निकलता है उससे अधिक नहर का पानी वापस खेत मे भर जाता है।
जलभराव से नष्ट हुई फसल
स्थानीय निवासी जलीस खान ने बताया कि अब तक 20 बीघा भूमि में लगी गेंहू और अमरूद की फसल जलभराव से नष्ट हो गई है। पीड़ित किसानों ने बताया फलसावटा गांव में नीमोद ब्रांच- फलसावटा नहर से पानी आ रहा है। करेल से फलसावटा के बीच सड़क निर्माण के चलते माइनर पर मिट्टी भर गई। इससे माइनर अवरुद्ध हो गया। सिंचाई विभाग ने नहरों की सफाई के लिए बजट भी आवंटन किया, लेकिन सम्बंधित ठेकेदार ने सफाई में मनमानी करते हुए नहर के अंतिम छोरो की तरफ सफाई तक नही की।
अब दो विभाग झाड़ रहे पल्ला
अधिकारियों ने भी समय रहते इस पर ध्यान नही दिया। अब किसानों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। मजे की बात यह है कि अब सिंचाई विभाग के अधिकारी इस पूरे मामले में सार्वजनिक निर्माण विभाग की लापरवाही बताते हुए अपना पल्ला झाड़ रहे है। सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता चेतराम मीना का कहना है कि फलसावटा सड़क निर्माण के चलते माइनर अवरुद्ध हो गया। सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने निर्माणाधीन सड़क में नहर के पानी निकासी के लिए पाइप ही नहीं लगाया। इससे अब पानी खेतों में जमा हो रहा है। सफाई के सवाल पर मीना ने चुप्पी साध ली। वहीं, इस पूरे मामले में पीडब्ल्यूडी के भाड़ौती के सहायक अभियंता हरकेश मीना का कहना है कि मेरी जानकारी में यह मामला नहीं है। सड़क पर अभी मिट्टी का कार्य हुआ है। मैं जाकर मौके पर देखूंगा। मौका देखने के बाद समाधान किया जाएगा।