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संसद पर साइबर हमले से ऐसे बचा ऑस्ट्रेलिया

locationजयपुरPublished: Mar 24, 2019 09:12:34 pm

Submitted by:

pushpesh

-स्थानीय मीडिया मान रहा है चीन का हाथ

-स्थानीय मीडिया मान रहा है चीन का हाथ

संसद पर साइबर हमले से ऐसे बचा ऑस्ट्रेलिया

जयपुर.

हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई संसद के महत्वपूर्ण डाटा में सेंध का प्रयास होने के बाद पूरी दुनिया में खलबली मच गई। हैकिंग की सूचना मिलते ही यहां की साइबर सिक्योरिटी चौकन्ना हो गई और संसद और राजनीतिक दलों से जुड़े अहम दस्तावेज चोरी होने से बच गए। तत्काल ही ऑस्ट्रेलिया सभी राजनीतिज्ञों के पासवर्ड भी बदल दिए। साइबर ठगों के इस प्रयास के बाद एक बार फिर पूरी दुनिया में साइबर सुरक्षा संदेह के घेरे में आ गई, वह भी तब जब साइबर सुरक्षा पर पूरी दुनिया 8.55 लाख करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है। भारत में भी साइबर सुरक्षा पर पिछले वर्ष की तुलना में 12.5 फीसदी खर्च बढऩे का अनुमान है। इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि पूरी दुनिया की सूचनाएं इस वक्त हैकर्स के निशाने पर है। सभी देश समय-समय पर इसके लिए अलर्ट जारी करने के साथ ही साइबर सुरक्षा पर जरूरी कदम भी उठा रहे हैं। ऑस्ट्रेलियाई संसद में हैकिंग की कोशिश को स्थानीय मीडिया चीन का हाथ मान रहा है। इनका कहना है कि आर्थिक और राजनीतिक लाभ के लिए सूचनाएं चुराने का चीन का पुराना इतिहास है। ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मोरिसन का कहना है कि अभी हैकर्स के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है, लेकिन ये किसी विदेशी एजेंसी का हाथ हो सकता है। इसके लिए जरूरी उपाय कर लिए गए हैं। 2008 के चुनाव में कथित तौर पर चीन ने ओबामा और रिपब्लिकन उम्मीदवार रहे जॉन मैक्केन के अभियान की जानकारी चुराई थी।
साइबर सुरक्षा पर पूरी दुनिया के अरबों खर्च
साइबर सुरक्षा पर पूरी दुनिया मोटी राशि खर्च कर रही है। शोध संस्था गार्टनर के मुताबिक 2018 में साइबर सिक्योरिटी पर दुनियाभर में 7.86 लाख करोड़ रुपए खर्च हुए, जो 2017 की तुलना में 12.4 फीसदी ज्यादा था। 2019 में ये खर्च 8.55 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है। भारत में साइबर सिक्योरिटी पर पिछले वर्ष 1.17 लाख करोड़ रुपए खर्च हुए थे, जो इस वर्ष 12.5 फीसदी बढक़र 1.31 लाख करोड़ होने का अनुमान है।
अमरीका व फ्रांस हुए हैकिंग के शिकार
2016 के अमरीकी चुनाव में उस वक्त की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के डेटा लीक्स के मामले में डेमोके्रटिक सरकार की काफी फजीयत हुई थी। ऐसा माना जाता है रूसी हैकर्स द्वारा चुराई गई तमाम जानकारियों का रणनीतिक रूप से इस्तेमाल किया गया, जिसका उद्देश्य डोनाल्ड ट्रंप को जिताना था। साइबर थ्रेट एलियंस इन्फॉर्मेशन शेयरिंग ग्रुप के अध्यक्ष डेनियल का कहना है कि 2017 के चुनाव में फ्रांस के राष्ट्रपति भी हैकिंग का शिकार हो गए थे। ऑस्ट्रेलिया ने दूसरे देशों के मामलों से सबक लेकर सावधानी बरती।
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