यों फायदा उठा रहे ठग : पेटीएम वॉलेट में पैसे चले जाएं तो रिटर्न नहीं होते। केवल वॉलेट धारक ही पैसे लौटा सकता है। साइबर अपराधी इसी का फायदा उठा रहे हैं।
ऐसे ठगों को पकडऩा मुश्किल
सैन्यकर्मियों के लीक हुए फोटो-दस्तावेज! पुलिस का कहना है कि सेना के कुछ कर्मियों के फोटो और दस्तावेज ई-कॉमर्स वेबसाइट से लीक हो चुके हैं। जालंधर में जयकिशन, कश्मीर में तैनात प्यारेलाल जैसे कई सैन्य कर्मियों ने पहले ई-कॉमर्स वेबसाइट पर सामान बेचने का विज्ञापन दिया था। उसके बाद ठगों ने उनके आर्मी कार्ड, कैंटीन कार्ड आदि दस्तावेज मंगवा लिए। ठग उन्हीं से लोगों को ठग रहे हैं। पुलिस जयकिशन और प्यारेलाल तक पहुंची तो पता चला कि उनके दस्तावेज लीक हुए हैं।
यों गंवा दी पसीने की कमाई केस-01: सायपुरा गांव निवासी अनिल ने ई-कॉमर्स वेबसाइट पर बाइक का विज्ञापन देखकर योगेश नामक संबंधित व्यक्ति को फोन किया। योगेश ने खुद को जैसलमेर में सेना में चालक बताया। अगले दिन विजेन्द्र सैनी नामक व्यक्ति ने फोन कर अनिल से कहा कि मैं डिलीवरी देने आ रहा हंू, गूगल पे से पैमेंट कर दीजिए। अनिल ने पहले 60 हजार और बाद में सिक्योरिटी अमाउंट के नाम पर 11550 रुपए डाल दिए। ठग कई बार में अनिल से 84 हजार रुपए हड़प गए।
केस-02: गिरिराज कॉलोनी श्रीराम की नांगल निवासी दिनेश सैनी ने 17 जून को ई-कॉमर्स वेबसाइट पर विज्ञापन देखकर 70 हजार की बाइक 65 हजार रुपए में बुक कराई। दिनेश ने फोन किया तो ठग ने कहा मैं आर्मी में हंू। उसने आर्मी का फर्जी कैंटीन कार्ड, आइडी कार्ड, आरसी की कॉपी मोबाइल पर भेजी। 1300 रुपए पेटीएम से लेकर ठग ने ड्राइवर के नंबर दिए। अगले दिन ड्राइवर ने कहा कि मैं आ गया हंू। उसने झांसा देकर 79 हजार रुपए डलवा लिए, बाइक नहीं दी।
केस-03: मानसरोवर निवासी उषा गुप्ता ने एसी का विज्ञापन देखकर संबंधित फोन नम्बर पर कॉल किया तो ठग ने कहा कि मैं आर्मी में हंू। मेरा तबादला हो गया है इसलिए एसी बेचना चाहता हंू। झांसे में आकर उषा ने उसके बताए अनुसार ऑनलाइन पैमेंट ऐप से 5 हजार रुपए ट्रांसफर कर दिए। फिर डिलीवरी चार्ज, जीएसटी आदि के नाम पर 10 हजार रुपए और दे दिए। एसी नहीं पहुंचने पर उषा ने फोन किया तो ठग ने जान से मारने की धमकी तक दे दी।
– सामान बेचने वाले के पेटीएम का केवायसी मांगें
– ऑनलाइन पैमेंट ऐप से भुगतान करते समय सावधानी बरतें