जयपुर

साइबर ठगों से सावधान, इंश्योरेंस पॉलिसी बंद करवाने के नाम पर ठगे आठ लाख तिहत्तर हजार रुपए

विशेष अपराध एवं साइबर थाने का मामला

जयपुरMay 17, 2019 / 04:27 pm

Deepshikha Vashista

साइबर ठगों से सावधान, इंश्योरेंस पॉलिसी बंद करवाने के नाम पर ठगे आठ लाख तिहत्तर हजार रुपए

जयपुर.शहर में साइबर ठगी रुकने का नाम नहीं ले रही, रोजाना साइबर ठगी के मामले सामने आ रहे हैं। इंश्योरेंस पॉलिसी बंद करवाने के नाम पर साइबर ठगों ने एक व्यक्ति के इर्द-गिर्द ऐसा जाल बुना कि वह नौ महीने तक झांसों के जाल में फंसता रहा और ठगों के बताए पते पर चैक से रुपए भेजता रहा। ठगों ने व्यक्ति से 873000 रुपए हड़प लिए। जब ठगों के मोबाइल नंबर बंद हो गए, तब ठगी का पता चला और व्यक्ति ने विशेष अपराध एवं साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई।
दौलतपुरा निवासी रामलाल मीणा ने रिपोर्ट दर्ज करवाई है। रिपोर्ट के अनुसार उसकी कोटक लाइफ इंश्योरेंस की एक पॉलिसी है, जिसका प्रीमियम अगस्त-2018 में ड्यू था। पीड़ित ने उसे जमा नहीं करवाया था। सितंबर-2018 में पीड़ित के पास जगदीश शर्मा नाम के व्यक्ति का फोन आया। उसने खुद को कोटक लाइफ इंश्योरेंस कंपनी का कर्मचारी बताया। जगदीश ने पीड़ित को पॉलिसी चालू रखना चाहते हैं या नहीं। पीड़ित ने कहा कि 50011 रुपए प्रीमियम जमा करवा चुका है अब पॉलिसी बंद करनी है। उस व्यक्ति ने पीड़ित को कहा कि 25 हजार रुपए का चैक एफएनएफ मनी के नाम से भरकर करन सिंह के गाजियाबाद के पते पर भेज दो, बदले में 50011 रुपए और 25 हजार रुपए का बोनस दिला दूंगा।
पीड़ित ने 25 हजार रुपए का चैक दिए भेज दिया। 18 सिंबतर को चैक क्लियर हो गया और एफएनएफ मनी के खाते में जमा हो गया। काफी दिन बाद व्यक्ति का पीड़ित के पास फोन आया, पॉलिसी को कम से कम तीन साल चलानी होगी तभी जमा करवाई हुई राशि और बोनस मिलेगा।
अगर पॉलिसी बंद करवानी है तो 75 हजार रुपए का चैक एफएनएफ मनी के नाम से भरकर उसी पते पर भेज दो। पीड़ित ने 75 हजार रुपए का चैक भेज दिया। पॉलिसी के रुपए नहीं मिले तो जगदीश नाम के व्यक्ति को फोन किया। उसने पॉलिसी की बात को टालकर एक और जाल फेंका, पीडि़त को तीस लाख रुपए की लाटरी खुलने का लालच दे 90 हजार रुपए जमा करवाए। इसके बाद साइबर ठगों ने कभी इनकम टैक्स के नाम तो कभी लॉटरी और नए खाते के नाम पर नौ महीने तक आठ लाख तिहत्तर हजार रुपए उनके दिए गए खाते में जमा करवा लिए। पीड़ित के उसके पास लॉटरी के रुपए जमा नहीं हुए तो उसने ठगों को कॉल किया। नंबंर बंद आने पर पीड़ित को ठगी का अहसास हुआ तो मामला दर्ज करवाया।

 
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