दल बदल कानून को लेकर बोले बिरला, सदन के मत के अनुसार होगा काम
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पीठासीन सम्मेलन के बाद बड़ा बयान दिया है। दसवीं अनुसूची दल बदल कानून को लेकर बिरला ने कहा कि पीठासीन अधिकारियों को असीमित अधिकार है। दसवीं अनुसूची दल बदल कानून के तहत पिछली बार देहरादून के अंदर भी पीठासीन अधिकारियों का एकमत था।

जयपुर।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पीठासीन सम्मेलन के बाद बड़ा बयान दिया है। दसवीं अनुसूची दल बदल कानून को लेकर बिरला ने कहा कि पीठासीन अधिकारियों को असीमित अधिकार है। दसवीं अनुसूची दल बदल कानून के तहत पिछली बार देहरादून के अंदर भी पीठासीन अधिकारियों का एकमत था। पीठासीन अधिकारियों को असीमित अधिकार है। हम किस तरह से अधिकारों को सीमितकर निर्विवाद भूमिका निभा सके, उस पर चर्चा हुई। राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉक्टर सीपी जोशी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी है कई विधानमंडल और पीठासीन अधिकारियों से चर्चा की है। वो रिपोर्ट देंगे इस कानून के बारे में आवश्यक कानून में परिवर्तन की आवश्यकता होगी उस पर चर्चा करेंगे। हम रिपोर्ट आने के बाद सरकार को अवगत कराएंगे और जनमत के आधार पर सदन का जैसा मत होगा वह काम होगा।
लव जिहाद से जुड़े सवाल पर ओम बिरला ने कहा कि अगर राज्य सरकार कानून बना सकती हैं तो उसका अधिकार है।हमारे यहां पर केंद्र की सूची होती है। जिसमें केंद्र कानून बनाता है । जो राज्य की सूची होती है उसमें राज्य कानून बनाता है। बिड़ला ने कहा ,यदि कोई राज्य विधि और कानून के विरुद्ध बिल बनाता है तो ।उसकी न्यायिक समीक्षा करने का अधिकार न्यायालय को है। इसलिए कानून बनाने का अधिकार है या नहीं इसे राज्य अपने लॉ डिपार्टमेंट से सुनिश्चित करता है।
संविधान जानों अभियान चलाएंगे
बिरला ने कहा है कि संविधान जानों अभियान पूरे देश में सभी विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में जोर-शोर से चलाया जाएगा। जिसमें सरल भाषा में सभी को संविधान समझाया जाएगा। इस अभियान का उद्देश्य है कि सरकारी अधिकारी-कर्मचारी और आम आदमी अपने संविधान को अच्छी तरह से जानें। युवावस्था से ही संविधान की सही जानकारी हो, तो उन्हें गलत जानकारी देकर कोई बरगला नहीं सकता
लोकतांत्रिक जिम्मेदारियां भी निभानी जरूरी
बिरला ने कहा कि कोरोना काल में सदन चला तो मेडिकल प्रोटोकॉल का ध्यान रखा गया। सभी को कोरोना से बचना जरूरी है, तो लोकतांत्रिक जिम्मेदारियां भी निभानी जरूरी हैं। बिरला ने लोकसभा और विधानसभाओं की कार्यवाहियों में हंगामा और बिना बहस के बिल पारित होने को लेकर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में बिलों पर चर्चा एवं संवाद होना चाहिए। लोकतंत्र में वाद-विवाद का स्थान है, लेकिन व्यवधान का नहीं है।
अब पाइए अपने शहर ( Jaipur News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज