झालाना के जंगल से आए दिन पैंथर बाहर निकल कर आबादी क्षेत्र में पहुंच रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण जंगल में उनके लिए भोजन-पानी की कमी तो है, साथ ही जंगल को लेकर वन विभाग की लापरवाही भी है। इसीका नतीजा है कि अब कुछ लोगों ने जंगल में कचरा फेंकना शुरू कर दिया है।
इसमें मृत जानवर और अस्पताल से निकलने वाला बायो मेडिकल वेस्ट भी शामिल है। इसकी दुर्गंध से पैंथर समेत अन्य वन्यजीव जंगल से इसमें अपना भोजन तलाशने के लिए पहुंच जाते हैं। यहां रहने वाले लोगों ने बताया कि कुछ लोगों ने पहाड़ के ठीक नीचे कचरे से भरे बैग फैला रखे हैं।
सिर्फ मोटी कमाई पर जोर
वन्य जीवों के दम पर वन विभाग सिर्फ मोटी रकम कमाने पर जोर दे रहा है, वहीं जंगल में हो रही अनैतिक गतिविधियों को रोकने में विभाग विफल साबित हो रहा है।
आमागढ़ की पहाड़ी के ठीक नीचे मिला था पैंथर का शव
सूत्रों ने बताया कि आमाढ़ की पहाड़ी के नीचे कई महीनों से कचरे से भरे बैग डाले जा रहे हैं। गत 28 जनवरी को करीब डेढ़ साल के पैंथर का शव भी इसी जगह मिला था। विभाग ने इस पैंथर की मौत किसी दूसरे पैंथर से संघर्ष से बताई थी। हालांकि इस पहाड़ पर पैंथर के संघर्ष का कारण स्पष्ट नहीं हो सका था। वनकर्मियों का कहना है कि संभवतया भोजन के लिए दोनों पैंथर झगड़ लिए होंगे। इसके चलते एक पैंथर पहाड़ी से नीचे गिर गया।
इसके अलावा कुछ दिन पहले नन्ही मादा पैंथर नाहरसिंह बाबा के मंदिर में मिली थी। तब वन विभाग के अधिकारियों ने कहा था कि भोजन की तलाश के दौरान यह अपनी मां पैंथर से बिछुड़ कर मंदिर में पहुंच गई होगी।