सीबीआई का कहना है कि विजेन्द्र सिंह उर्फ टीलिया ने मजिस्ट्रेट के समक्ष धारा-164 के तहत बयान दर्ज करवाए थे और दारा के फर्जी एनकाउंटर से संबंधित पूरे षड़यंत्र का पर्दाफाश किया था। लेकिन,ट्रायल के दौरान वह अदालत में अपने बयानों से पलट गया और उसने झूठे सबूत और बयान दिए।
सुशीला देवी अपनी पति की मौत को शुरु से ही फर्जी एनकाउंटर बता रही थी और जांच की मांग के लिए मजिस्ट्रेट कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक उसने ही याचिका दायर की थीं। सुप्रीम कोर्ट ने सुशीला देवी की याचिका पर ही केस सीबीआई को सौंपा था और इसके दस्तावेजी सबूत रिकार्ड पर मौजूद हैं। इसके बावजूद भी उसने ट्रायल के दौरान अदालत में याचिका दायर होने की जानकारी नहीं होने के संबंध में झूठी गवाही दी है। सीबीआई ने दोनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। इस मामले में अब अगली सुनवाई हाईकोर्ट के शीतकालीन अवकाश के बाद होगी।
इनसे मांगा है जवाब-
एडीजी ए.पोन्नूचामी,एएसपी अरशद अली,इंस्पेक्टर सत्यनारायण गोदारा,निसार खान,नरेश शर्मा,सुभाषा गोदारा,राजेश चौधरी,जुल्फिकार,अरविंद भारद्वाज,सुरेन्द्र सिंह,हैड-कांस्टेबल बद्रीप्रसाद,कांस्टेबल जगराम और ड्राईवर सरदार सिंह। सीबीआई ने एसआई मुंशीलाल के खिलाफ अपील नहीं की है।
अहम गवाह की हुई थी हत्या-
इस मामले के एक अहम गवाह विजय चौधरी और विज्जू ठेकेदार को सीबीआई पकड़ नहीं पाई थी। ट्रायल के दौरान ही उसकी हत्या हो गई थी। सीबीआई के अनुसार विजय ठेकदार की वह व्यक्ति था जिसने दारासिंह को फतेहपुर में शरण दे रखी थी और बाद में फतेहपुर से लाकर जयपुर में एसओजी टीम को सौंपा था।