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दारा सिंह एनकाउंटर केस:सीबीआई ने राजेन्द्र राठौड़ को बरी की राय पर उठाया सवाल

locationजयपुरPublished: Dec 02, 2019 06:40:25 pm

Submitted by:

Mukesh Sharma

(Rajasthan Highcourt) हाईकोर्ट ने 13 साल पहले जयपुर में हुए (dara singh encounter case) दारासिंह एनकाउंटर केस में आरोपी रहे 13 पुलिसकर्मियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अदालत ने इसके साथ ही दिवंगत दारासिंह की (Widow) विधवा सुशीला देवी और प्रकरण के अहम गवाह व दारा सिंह के साथी विजेन्द्र सिंह उर्फ टिलीया से भी जवाब मांगा है।

जयपुर

(Rajasthan Highcourt) हाईकोर्ट ने 13 साल पहले जयपुर में हुए (dara singh encounter case) दारासिंह एनकाउंटर केस में आरोपी रहे 13 पुलिसकर्मियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अदालत ने इसके साथ ही दिवंगत दारासिंह की (Widow) विधवा सुशीला देवी और प्रकरण के अहम गवाह व दारा सिंह के साथी विजेन्द्र सिंह उर्फ टिलीया से भी जवाब मांगा है। जस्टिस महेन्द्र महेश्वरी और जस्टिस गोरधन बाढ़दार की बैंच ने यह अंतरिम निर्देश सीबीआई की तीन अपील पर दिए हैं। सीबीआई ने आरोपियों बरी करने वाले ट्रायल कोर्ट के 13 मार्च,2018 के आदेश को चुनौती देने के साथ ही सुशीला और विजिन्द्र उर्फ टिलीया के खिलाफ झूठी गवाही देने के आरोप में अपील की है।
राजेन्द्र राठौड़ को लेकर उठाया सवाल-
सीबीआई ने भाजपा विधायक राजेन्द्र राठौड़ को लेकर भी अहम सवाल उठाया है। उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने राठौड़ को ही दारासिंह की फर्जी एनकाउंटर में हत्या करवाने का मुख्य अभियुक्त माना था। ट्रायल कोर्ट ने राठौड़ को डिस्चार्ज कर दिया था लेकिन, हाईकोर्ट ने राठौड़ को डिस्चार्ज करने के आदेश को रद्द करते हुए उनपर हत्या,हत्या का षड़यंत्र सहित अन्य धाराओं में आरोप तय करने और ट्रायल शुरु करने के आदेश दिए थे।
हालांकि हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। इधर अन्य आरोपियों के खिलाफ ट्रायल जारी रही और 13 मार्च,2018 को सभी बरी हो गए। इस दौरान राठौड़ की अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित चल रही थी। सीबीआई का कहना है कि ट्रायल कोर्ट ने आदेश में अन्य आरोपियों को बरी करने के साथ राजेन्द्र राठौड़ को भी बरी करने के संबंध में अपनी राय व्यक्त की है। जबकि ना तो राठौड़ कोर्ट के सामने थे और ना ही उनकी कोई ट्रायल ही हुई। क्योंकि राठौड़ पर आरोप तय करके ट्रायल चलाने के हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी थी। इसलिए ट्रायल कोर्ट राठौड़ की अपराध मंे लिप्तता होने या नहीं होने के संबंध में कोई राय व्यक्त नहीं कर सकती थी।
टीलिया ने बोला झूठ–
सीबीआई का कहना है कि विजेन्द्र सिंह उर्फ टीलिया ने मजिस्ट्रेट के समक्ष धारा-164 के तहत बयान दर्ज करवाए थे और दारा के फर्जी एनकाउंटर से संबंधित पूरे षड़यंत्र का पर्दाफाश किया था। लेकिन,ट्रायल के दौरान वह अदालत में अपने बयानों से पलट गया और उसने झूठे सबूत और बयान दिए।
सुशीला ही गई थी सुप्रीम कोर्ट तक–
सुशीला देवी अपनी पति की मौत को शुरु से ही फर्जी एनकाउंटर बता रही थी और जांच की मांग के लिए मजिस्ट्रेट कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक उसने ही याचिका दायर की थीं। सुप्रीम कोर्ट ने सुशीला देवी की याचिका पर ही केस सीबीआई को सौंपा था और इसके दस्तावेजी सबूत रिकार्ड पर मौजूद हैं। इसके बावजूद भी उसने ट्रायल के दौरान अदालत में याचिका दायर होने की जानकारी नहीं होने के संबंध में झूठी गवाही दी है। सीबीआई ने दोनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। इस मामले में अब अगली सुनवाई हाईकोर्ट के शीतकालीन अवकाश के बाद होगी।
इनसे मांगा है जवाब-
एडीजी ए.पोन्नूचामी,एएसपी अरशद अली,इंस्पेक्टर सत्यनारायण गोदारा,निसार खान,नरेश शर्मा,सुभाषा गोदारा,राजेश चौधरी,जुल्फिकार,अरविंद भारद्वाज,सुरेन्द्र सिंह,हैड-कांस्टेबल बद्रीप्रसाद,कांस्टेबल जगराम और ड्राईवर सरदार सिंह। सीबीआई ने एसआई मुंशीलाल के खिलाफ अपील नहीं की है।
अहम गवाह की हुई थी हत्या-
इस मामले के एक अहम गवाह विजय चौधरी और विज्जू ठेकेदार को सीबीआई पकड़ नहीं पाई थी। ट्रायल के दौरान ही उसकी हत्या हो गई थी। सीबीआई के अनुसार विजय ठेकदार की वह व्यक्ति था जिसने दारासिंह को फतेहपुर में शरण दे रखी थी और बाद में फतेहपुर से लाकर जयपुर में एसओजी टीम को सौंपा था।
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