डरिए… कि आप राजस्थान में रहते हैं
जयपुरPublished: Sep 13, 2018 01:32:48 am
प्रदूषण इस कदर, धूम्रपान से भी घातक हुआ
डरिए… कि आप राजस्थान में रहते हैं
जयपुर. त्याग-बलिदान और शौर्य की भूमि राजस्थान में रहने वाले लोग संकट में हैं। जिन लोगों का धूम्रपान से दूर-दूर तक वास्ता नहीं है, वे भी पल-पल जहरीला धुआं निगम रहे हैं। बढ़ता प्रदूषण लोगों की हालत खराब कर रहा है। राज्य में प्रदूषण इस कदर बढ़ रहा है कि यह धूम्रपान से भी ज्यादा जानलेवा स्थिति तक आ पहुंचा है।
राज्य में सांसों की घातक बीमारी क्रानिक ऑक्सट्रक्टरी पल्मोनरी डीजीज (सीओपीडी) से जिनकी मौत हो रही थी, उनमें बड़ा कारण धूम्रपान सामने आता रहा था लेकिन इसे पीछे छोड़कर प्रदूषण अब सबसे बड़ा कारण बन गया है। पचास फीसदी से अधिक लोगों में सीओपीडी से मौत का कारण प्रदूषण पाया गया है। इतना ही नहीं, राज्य में प्रदूषण का असर इतना घातक है कि देश में प्रदूषण जनित बीमारी सीओपीडी मरीजों की प्रति लाख संख्या में राजस्थान का स्थान आठवां है लेकिन इस बीमारी से मौत के मामले में पहले नंबर पर है। यह चिंताजनक रिपोर्ट ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के संयुक्त शोध में सामने आई है। यह शोध बुधवार को अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। गौरतलब है कि 5 महीने पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में राज्य के जयपुर और जोधपुर शहर को दुनिया के सबसे प्रदूषित 15 शहरों में माना गया था।
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जयपुर में प्रदूषण का स्तर 5 गुणा अधिक
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रदूषण का स्तर 2.5 माइक्रोन साइज पार्टिकल 20 से कम होना चाहिए लेकिन जयपुर में अक्सर इसका स्तर 100 से अधिक ही मिलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह स्तर 104 माना था, जो औसत स्तर 20 से पांच गुणा अधिक था।
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हॉर्ट अटैक से भी आगे सीओपीडी
देश में मौत का सबसे बड़ा कारण हॉर्ट अटैक है लेकिन राजस्थान में मौत का सबसे बड़ा कारण प्रदूषण के चलते होने वाली सीओपीडी है। हॉर्ट अटैक यहां दूसरे नंबर पर है।
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जयपुर में प्रदूषण का बड़ा कारण
– वाहनों की अनियमित संख्या
– हर महीने 5000 नए वाहन उतर रहे हैं जयपुर की सड़कों पर
– बहुत पुराने और कंडम हो चुके वाहनों को सड़कों पर से हटाने की कोई नीति नहीं
– प्रदूषण फैलाने वाहनों पर उचित नजर नहीं
– कारखानों से निकलने वाले धुएं पर ध्यान नहीं
– गंदे नाले शहर के बीच में, कुछ इलाकों में यह बड़ी समस्या
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अध्ययन में ये नतीजे भी आए सामने
– देश की जनसंख्या दुनिया की करीब 18 प्रतिशत है लेकिन सीओपीडी रोग से दुनियाभर में मरने वालों में 32 प्रतिशत भारतीय हैं।
– अस्थमा के रोगियों की विश्व की औसत संख्या से भारत में इन मरीजों की संख्या कम है लेकिन भारतीय अस्थमा मरीजों में 2.4 गुणा मरते या डिसेबल होते हैं।
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पांच महीने में कोई प्रयास नहीं
जयपुर टूरिज्म के लिहाज से दुनिया के बेहतरीन शहरों में शामिल है। लेकिन पांच महीने पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में यहां प्रदूषण का स्तर चिंताजनक बताया गया था। इसके बावजूद इसमें सुधार के लिए जमीनी स्तर पर कोई प्रयास नजर नहीं आए।
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जिम्मेदारों ने धूल पर फोड़ा ठीकरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जयपुर और जोधपुर को सबसे प्रदूषित शहरों में बताया तब जिम्मेदारों ने कहा था कि राजस्थान का मौसम और भौगोलिक बनावट ऐसी है कि डस्ट पॉल्यूशन सर्वाधिक रहता है। डस्ट के कारण जयपुर सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल हो गया है। रेगिस्तानी इलाका होने के कारण हवाएं अपने साथ डस्ट को लेकर चलती हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि डस्ट पोल्यूशन का बड़ा असर जोधपुर पर हो सकता है, जयपुर पर नहीं। जयपुर में वाहन प्रदूषण ही वायू प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण माना गया है।
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एक्सपर्ट कमेंट : नियंत्रण करना होगा
राजस्थान में इनडोर और आउटडोर प्रदूषण देश में सर्वाधिक है। प्रदूषण यहां के लिए भारी चिंता का विषय है। सड़कों पर वाहनों की संख्या बेलगाम हो रही है। इस पर नियंत्रण के लिए व्यापक कार्ययोजना की जरूरत है। प्रदूषण के लिहाज से हमारा शहर कहीं सबसे खराब शहर न बन जाए। ऐसा हुआ तो इससे होने वाली बीमारियों और मौतों को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाएगा।
– डॉ. वीरेन्द्र सिंह, अस्थमा रोग विशेषज्ञ एवं पूर्व अधीक्षक, एसएमएस अस्पताल