scriptDatta Jayanti Story जब ब्रह्मा, विष्णु, महेश को बना दिया बालक, जानिए दत्त भगवान की अनूठी कथा | Datta Purnima Margashirsha Purnima Aghan Purnima Lord Dattatreya | Patrika News

Datta Jayanti Story जब ब्रह्मा, विष्णु, महेश को बना दिया बालक, जानिए दत्त भगवान की अनूठी कथा

locationजयपुरPublished: Dec 28, 2020 07:43:15 pm

Submitted by:

deepak deewan

29 दिसंबर को मार्गशीर्ष या अगहन महीने की पूर्णिमा है जिसे दत्त पूर्णिमा भी कहते हैं। यह दिन भगवान दत्तात्रेय की जयंती के रूप में मनाया जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि दत्तात्रेयजी ब्रह्मा, विष्णु और शिव तीनों के संयुक्त अवतार हैं। यही कारण है कि उनकी पूजा बहुत प्रभावी और फलदायी मानी जाती है।

Datta Purnima Margashirsha Purnima Aghan Purnima Lord Dattatreya

Datta Purnima Margashirsha Purnima Aghan Purnima Lord Dattatreya

जयपुर. 29 दिसंबर को मार्गशीर्ष या अगहन महीने की पूर्णिमा है जिसे दत्त पूर्णिमा भी कहते हैं। यह दिन भगवान दत्तात्रेय की जयंती के रूप में मनाया जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि दत्तात्रेयजी ब्रह्मा, विष्णु और शिव तीनों के संयुक्त अवतार हैं। यही कारण है कि उनकी पूजा बहुत प्रभावी और फलदायी मानी जाती है।
भगवान दत्तात्रेयजी नाथ संप्रदाय के जनक के रूप में जाने जाते हैं। उनका जन्म मार्गशीर्ष पूर्णिमा को प्रदोष काल में हुआ था। इसलिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर उनकी जयंती मनाई जाती है। भगवान दत्तात्रेय भगवान विष्णु के छठे अवतार कहे जाते हैं जबकि शैव इनकी भगवान शिव के रूप में पूजा करते हैं। वैसे वे ब्रह्मा, विष्णु और शिव तीनों के ही स्वरूप में सर्वमान्य हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार दत्त पूर्णिमा पर सुबह स्नान कर सूर्यदेव को जल अर्पित कर भगवान दत्तात्रेय का ध्यान करते हुए व्रत व पूजा का संकल्प लें। इसके बाद विधिविधान से उनकी पूजा करें। भगवान विष्णु और शिवजी की भी पूजा करें। पूजा प्रदोष काल में करना उत्तम होगा। भगवान दत्तात्रेय की प्रसन्नता के लिए इस दिन श्री दत्तात्रेय स्त्रोत का पाठ जरूर करें।
दत्तात्रेयजी के बालस्वरूप की पूजा का विधान है जिसका राज पौराणिक कथा में छुपा है। कथा के अनुसार माता पार्वती, लक्ष्मी तथा सरस्वती ने देवी अनुसूया का पतिव्रत धर्म भ्रष्ट करने की कोशिश की। उन्होंने ब्रह्मा, विष्णु और महेश को अनुसूयाजी के पास पहुंचाया। अपने पतिव्रत धर्म के बल पर देवी अनुसूया ने उनकी मंशा जान ली। उन्होंने अत्रि ऋषि के चरणों का जल तीनों देवों पर छिड़ककर उनको बालक बना दिया।
तीनों देवों को देवी अनुसूया बालरूप में पालने लगीं। जब माता पार्वती, लक्ष्मी तथा सरस्वती को अपनी भूल का अहसास हुआ तो उन्होंने देवी अनुसूया से क्षमा मांगी और अपने पति लौटाने को कहा। माता अनुसूया ने कहा कि इन तीनों ने मेरा दूध पीया है, इसलिए इन्हें बालरूप में ही रहना होगा। तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों के अंश मिलकर भगवान दत्तात्रेय की उत्पत्ति हुई।
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