Aghan Purnima 2020 सूर्य और चंद्रमा की इस विशेष स्थिति के कारण मिलते हैं शुभ फल, जानें पूर्णिमा का महत्व
सनातन धर्म में मार्गशीर्ष यानि अगहन पूर्णिमा का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान शिव और चंद्रदेव की उपासना का है। इसके साथ ही पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी की भी पूजा का विधान है। पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा की परंपरा है। सत्यनारायण भगवान की कथा और पूजा करने सें दुख दूर होते हैं, सुख प्राप्त होने लगते हैं।

जयपुर. सनातन धर्म में मार्गशीर्ष यानि अगहन पूर्णिमा का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान शिव और चंद्रदेव की उपासना का है। इसके साथ ही पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी की भी पूजा का विधान है। पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा की परंपरा है। सत्यनारायण भगवान की कथा और पूजा करने सें दुख दूर होते हैं, सुख प्राप्त होने लगते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई के अनुसार, पूर्णिमा ऐसी विशेष तिथि है जब चंद्रमा अपने पूर्ण स्वरूप में होता है। इस दिन चंद्रमा और सूर्य देव एक—दूसरे के ठीक सामने होते हैं। इस कारण शुभ फलों की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा के दिन पावन नदियों में स्नान के साथ ही दान का भी विशेष महत्व होता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर श्रीकृष्ण की पूजा बहुत फलदायी होती है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा को दत्त पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन भगवान दत्तात्रेय ने अवतार लिया था। पंचांगों के अनुसार इस बार मार्गशीर्ष पूर्णिमा दो दिन 29 दिसंबर और 30 दिसंबर को मनाई जाएगी। साल 2020 की यह आखिरी पूर्णिमा भी है। ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार पूर्णिमा पर व्रत रखकर पूजा—पाठ व दान का कई गुना फल मिलता है।
अगहन पूर्णिमा शुभ मुहूर्त-
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 29 दिसंबर को शाम 7.55 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त— 30 दिसंबर को रात 8.59 बजे
दत्त पूर्णिमा— 29 दिसंबर को
स्नान दान पूर्णिमा— 30 दिसंबर को
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