इन खदानों को स्थानांतरित किया जाएगा और लगभग 2,500 लोग जो परिणामस्वरूप बेरोजगार होंगे, उनको कहीं और नियोजित कर दिया जाएगा। कहा गया कि राज्य सरकार इस इलाके को (पत्थर खनन क्षेत्र) एक धार्मिक पर्यटन स्थल बनाने का इरादा रखती है। लेकिन इस बीच मंगलवार सुबह को एक साधु जिले के डीग में पत्थर खनन का विरोध करने के लिए एक मोबाइल टावर पर चढ़ गया और फिर ये हादसा सामने आ गया। शासन के प्रयास कागज से आगे बढ़ते उसके पहले ही एक साधु की जान अब सिर्फ कागजों और लोगों की यादों में ही रह गई है।
दिल्ली में चल रहा था इलाज
भरतपुर पहाड़ी के एसडीओ संजय गोयल ने बताया कि बीती 21 जुलाई को आत्मदाह करने वाले साधु विजय दास की शुक्रवार की देर रात इलाज के दौरान मौत हो गई है। दास का दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज चल रहा था। गोयल ने बताया कि शनिवार सुबह दास की बॉडी पौस्टमार्टम के बाद उनके घरवालों के सुपुर्द कर दी जाएगी।
भाजपा ने किया विरोध प्रदर्शन
इससे पहले डीग के गांव पसोपा में आदिबद्री एवं कनकांचल पर्वत को खनन मुक्त कराने की मांग को लेकर साधु के आत्मदाह की कोशिश करने के मामले को लेकर शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जिला कलेक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन किया। इस बीच कलक्ट्रेट परिसर में प्रवेश को लेकर भाजपा नेताओं एवं पुलिसकर्मियों के बीच धक्का-मुक्की भी हो गई। प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार एवं पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
दिल्ली में चल रहा था इलाज
एसडीओ संजय गोयल ने बताया कि बीती 21 जुलाई को आत्मदाह करने वाले साधु विजय दास की शुक्रवार की देर रात इलाज के दौरान मौत हो गई है। दास का दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज चल रहा था।
भाजपा ने गठित की पांच सदस्यीय समिति
संत विजयदास आत्मदाह मामले के संबंध में भाजपा ने पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। भाजपा के प्रदेश महामंत्री भजन लाल शर्मा ने बताया कि डा पूनियां के निर्देशानुसार इस संदर्भ में जांच कमेटी गठित की गई है। यह कमेटी तुरंत प्रभाव से भरतपुर जाकर संपूर्ण तथ्यों की निष्पक्ष जांच कर डॉ पूनिया को अपनी रिपोर्ट करेगी। उन्होंने बताया कि समिति में सांसद बाबा बालकनाथ, पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी, गजेन्द्र सिंह खींवसर, पूर्व विधायक राजकुमारी जाटव एवं जिला प्रभारी बनवारी लाल सिंघल को शामिल किया गया है। बता दें कि बुधवार को भरतपुर के पसोपा गांव में संत विजय दास ने अवैध खनन के विरोध में खुद को आग लगा लेने से वह गंभीर रूप से झुलस गए थे।
अब जागी है सरकार
घटना के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस पूरे मसले के समाधान के लिए आनन-फानन में बैठक बुलाई। इसमें खान और पुलिस विभाग के अधिकारी मौजूद थे। वहीं इस मसले में पर राजस्थान में सियासत भी गरमा गई है. बीजेपी और कांग्रेस में बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। साधु के आत्मदाह के प्रयास के बाद धरनास्थल पर हुये समझौते के अनुसार इस इलाके को पूर्व में जिला कलेक्टर की ओर से भेजे गये प्रस्ताव के मुताबिक वन क्षेत्र घोषित किया जायेगा। इस बीच इसी मसले को लेकर मोबाइल टावर चढ़े साधु भी बुधवार दोपहर बाद नीचे उतर आये हैं।
गोवर्धन परिक्रमा क्षेत्र में आदि पर्वत पर करीब 25 से अधिक खानें आवंटित
दरअसल राजस्थान सरकार ने गोवर्धन परिक्रमा क्षेत्र में आदि पर्वत पर करीब 25 से अधिक खानों का आवंटन कर रखा है। संत समाज मांग कर रहे कि इन वैध और अवैध सभी तरह की खानों को बंद किया जाये ताकि भगवान कृष्ण की क्रीड़ा स्थली को बचाया जा सके और इसे वन क्षेत्र घोषित किया जाए। पिछले करीब 2 साल से इसी मांग को लेकर साधु-संत आंदोलन कर रहे हैं। इस मसले को लेकर सरकार से कई दफा बातचीत भी हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया।