स्टोक में ले गए दवा
दवा विके्रता रामबाबू अग्रवाल का कहना है कि क्रॉनिक कैटेगिरी वाली बीमारियों के मरीज स्टोक में पहले से ही दवाइयां ले गए। इनमें बीपी, हार्ट, शुगर की दवाइयां ज्यादा बिकी हैं। सर्दी-जुकाम, बुखार की एंटीबायोटिक दवा जहां तुरंत बिकती थी। मरीज नहीं आने की वजह से दवाइयां बिकी ही नहीं। वहीं दवा विक्रेता सुरेन्द्र खेतान ने बताया कि अस्पतालों में ओपीडी, आइपीडी बंद रहे। ऑपरेशन नहीं हुए। नए मरीज नहीं आने से पुराने मरीजों की पर्चियां ही रिपीट हो रही हैं। बीपी, हार्ट की 40-45 प्रतिशत दवाइयां ज्यादा बिकी है।
दवा विके्रता रामबाबू अग्रवाल का कहना है कि क्रॉनिक कैटेगिरी वाली बीमारियों के मरीज स्टोक में पहले से ही दवाइयां ले गए। इनमें बीपी, हार्ट, शुगर की दवाइयां ज्यादा बिकी हैं। सर्दी-जुकाम, बुखार की एंटीबायोटिक दवा जहां तुरंत बिकती थी। मरीज नहीं आने की वजह से दवाइयां बिकी ही नहीं। वहीं दवा विक्रेता सुरेन्द्र खेतान ने बताया कि अस्पतालों में ओपीडी, आइपीडी बंद रहे। ऑपरेशन नहीं हुए। नए मरीज नहीं आने से पुराने मरीजों की पर्चियां ही रिपीट हो रही हैं। बीपी, हार्ट की 40-45 प्रतिशत दवाइयां ज्यादा बिकी है।
बीपी, डिप्रेशन के 25 प्रतिशत मरीज बढ़े
जानकारी के अनुसार लॉकडाउन के चलते कोरोना की खबरों ने लोगों के दिमाग पर असर करना शुरू कर दिया है। कोरोना के कारण बीपी, डिप्रेशन के मरीज बढ़ गए हैं। एक अनुमान के अनुसार 25 प्रतिशत मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
जानकारी के अनुसार लॉकडाउन के चलते कोरोना की खबरों ने लोगों के दिमाग पर असर करना शुरू कर दिया है। कोरोना के कारण बीपी, डिप्रेशन के मरीज बढ़ गए हैं। एक अनुमान के अनुसार 25 प्रतिशत मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
इम्यूनिटी दवाओं की बिक्री हुई ज्यादा
दवा बाजार से मिले आंकड़े बताते हैं कि गायनेकोलॉजिकल दवाओं की बिक्री 25, अस्थमा की दवाओं की बिक्री 20 प्रतिशत और चर्म रोग की दवाओं की बिक्री पिछले तीन महीने में 20 प्रतिशत कम हुई है। हालांकि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दवाओं की बिक्री 30 प्रतिशत बढ़ी है।
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बिना डॉक्टर की पर्ची के दवा विक्रेता दवा नहीं दे रहे हैं। ऐसे में खांसी-जुकाम के मरीज डॉक्टर के पास नहीं जाकर घर पर ही इलाज कर रहे हैं। इस वजह से एंटीबायोटिक दवा मेडिकल दुकानों पर नहीं बिक नहीं रही है। 50 प्रतिशत एंटीबायोटिक दवाओं की बिक्री कम हो गई है।
– आर.बी. पुरी, अध्यक्ष, राजस्थान कैमिस्ट एसोसिएशन
दवा बाजार से मिले आंकड़े बताते हैं कि गायनेकोलॉजिकल दवाओं की बिक्री 25, अस्थमा की दवाओं की बिक्री 20 प्रतिशत और चर्म रोग की दवाओं की बिक्री पिछले तीन महीने में 20 प्रतिशत कम हुई है। हालांकि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दवाओं की बिक्री 30 प्रतिशत बढ़ी है।
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बिना डॉक्टर की पर्ची के दवा विक्रेता दवा नहीं दे रहे हैं। ऐसे में खांसी-जुकाम के मरीज डॉक्टर के पास नहीं जाकर घर पर ही इलाज कर रहे हैं। इस वजह से एंटीबायोटिक दवा मेडिकल दुकानों पर नहीं बिक नहीं रही है। 50 प्रतिशत एंटीबायोटिक दवाओं की बिक्री कम हो गई है।
– आर.बी. पुरी, अध्यक्ष, राजस्थान कैमिस्ट एसोसिएशन
जनरल मेडिसिन और एंटीबायोटिक की सेल कम होने का कारण मरीजों का घर से बाहर नहीं निकल पाना और मरीजों के आवागमन में होने वाली असुविधा मुख्य कारण है। बीपी, हार्ट, डायबिटीज, किडनी और न्यूरो से संबंधित दवाइयां ज्यादा बिकी है। इसका कारण मरीजों की संख्या बढऩा नहीं बल्कि लॉकडाउन की अनिश्चितता के डर से लंबे समय के उपयोग के लिए घर पर ही दवाइयों का स्टॉक करना प्रमुख कारण है।
— नवीन संघी, सचिव, जयपुर कैमिस्ट एसोसिएशन
— नवीन संघी, सचिव, जयपुर कैमिस्ट एसोसिएशन