ट्रेन द्वारा ही थी मूल योजना
बीते साल की बात की जाए तो 20000 यात्रियों को यात्रा करवाने के लिए राशि मिली थी परंतु इस बार 10000 यात्रियों को यात्रा करवाने के लिए राशि विभाग को मिली है। विभाग के पूर्व अधिकारी के मुताबिक सरकार द्वारा चलाई जा रही यह योजना मूल रूप से ट्रेन द्वारा ही थी जिसका मूल उद्देश्य ना केवल बुजुर्ग यात्रियों को तीर्थ करवाना था बल्कि विभिन्न जातियों और सम्प्रदाय के एक साथ हजारों परिवारों के वरिष्ठतम सदस्यों को यात्रा के जरिए सामाजिक सदभाव को बढ़ाना था। अन्य राज्यों में ट्रेन यात्रा की सुविधा यात्रियों को दी जा रही है। परंतु राजस्थान में बीते कई साल से इसमें बदलाव किया गया है।
बीते साल की बात की जाए तो 20000 यात्रियों को यात्रा करवाने के लिए राशि मिली थी परंतु इस बार 10000 यात्रियों को यात्रा करवाने के लिए राशि विभाग को मिली है। विभाग के पूर्व अधिकारी के मुताबिक सरकार द्वारा चलाई जा रही यह योजना मूल रूप से ट्रेन द्वारा ही थी जिसका मूल उद्देश्य ना केवल बुजुर्ग यात्रियों को तीर्थ करवाना था बल्कि विभिन्न जातियों और सम्प्रदाय के एक साथ हजारों परिवारों के वरिष्ठतम सदस्यों को यात्रा के जरिए सामाजिक सदभाव को बढ़ाना था। अन्य राज्यों में ट्रेन यात्रा की सुविधा यात्रियों को दी जा रही है। परंतु राजस्थान में बीते कई साल से इसमें बदलाव किया गया है।
परिवारजनों ने किया स्वागत
पहली दीन दयाल वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा ट्रेन मंगलवार को रामेश्वरम से जयपुर पहुंची। दुर्गापुरा रेल्वे स्टेशन पर बैंड बाजो के बीच माला पहनाकर और गुलाल लगाकर परिवारजनों ने अपने परिजनों का स्वागत किया।
पहली दीन दयाल वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा ट्रेन मंगलवार को रामेश्वरम से जयपुर पहुंची। दुर्गापुरा रेल्वे स्टेशन पर बैंड बाजो के बीच माला पहनाकर और गुलाल लगाकर परिवारजनों ने अपने परिजनों का स्वागत किया।
वर्जन
हर व्यक्ति ट्रेन के लिए आवेदन करता है, ट्रेन में बुजुर्ग सहलूयित के साथ सफर को ज्यादा बेहतर मानते है। १००० यात्री हो तब पूरी ट्रेन बुक होती है। जबकि हवाईयात्रा में जितने यात्री जाना चाहे विभाग उसका भुगतान करता है। वहीं आबादी और आवेदन के अनुपात में कोटा तय किया जाता है। इसके बाद लॉटरी निकाली जाती है।
-कृष्णकांत पाठक, शासन सचिव, देवस्थान विभाग