जगप्रवेश ने बताया कि उसकी तबीयत बिल्कुल ठीक है। जगप्रवेश के जाने के बाद 4 छात्राएं व दो छात्र और अनशन पर बैठ गए। कार्रवाई से नाराज छात्रों ने कुलपति निवास पर पहुंचकर प्रदर्शन किया।
डिग्री अमान्य तो नहीं कर पाएंगे प्रेक्टिस विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई काफी महंगी है। इसका कारण है लॉ कोर्स का सेल्फ फाइनेंसिंग होना। छात्रों को हर सेमेस्टर से लिए 40-50 हजार रुपए फीस भरनी पड़ रही है। यानी कि पांच वर्षों में करीब पांच लाख रुपए शुल्क के रुपए में जमा कराने होंगे। इतनी भारी फीस के बाद भी डिग्री खतरे में है। अगर इन छात्रों की डिग्री अमान्य हुई तो वे कोर्ट में प्रेक्टिस नहीं कर पाएंगे। तकनीकी कोर्स में शिक्षकों की कमी को लेकर हाईकोर्ट में करीब 7 माह पहले एक पीआईएल भी दायर की गई थी।
कागजों के खेल में उलझे छात्र बीसीआई कई वर्षों से राजस्थान विश्वविद्यालय को शिक्षक नियुक्त करने के लिए नोटिस दे चुका है। पिछले साल विवि प्रशासन ने शिक्षकों की भर्ती करने के लिए सरकार को कई पत्र लिखे। मगर अनुमति नहीं मिली। अब कुलपति ने सीधे बीसीआई को पत्र लिखकर शिक्षकों की भर्ती की अनुमति मांगी है। मगर महीनों से चल रहे कागजों के खेल में परेशान छात्र हो रहे हैं और अब आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
यह है मामला बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने पूर्णकालिक शिक्षक नहीं होने के कारण 2015 में फाइव ईयर लॉ कॉलेज का एफिलिएशन रद्द कर दिया था। इसके बाद भी साल 2016 व 2017 में कॉलेज में 240 छात्रों को प्रवेश दिया गया। बीसीआई ने विवि को इस शर्त पर प्रवेश देने दिया कि शिक्षकों की कमी जल्द पूरी कर दी जाएगी। इसके बावजूद शिक्षकों की भर्ती नहीं की। हालत यह है कि कॉलेज में एक भी पूर्णकालिक शिक्षक नहीं है। वहीं आगामी सत्र से मान्यता पर भी खतरा है। विवि साल 2018 में छात्रों को प्रवेश नहीं दे सकता। अगर कॉलेज की मान्यता रद्द हुई तो 2016 व 17 में प्रवेश लेने वाले 240 छात्रों की डिग्री पर भी संकट आ जाएगा।