दिल्ली एम्स में डिप्टी सैकट्री के पद पर रहते हुए आईएफएस संजीव चतुर्वेदी ने भ्रष्टाचार के कई खुलासे किए। इस दौरान कई अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट भी दी गई। साथ ही इसको लेकर राजनीतिक तौर पर काफी हंगामा भी हुआ। ऐसे में केन्द्र सरकार ने चतुर्वेदी को इस पद से हटाया और बाद में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी.नड्डा ने चतुर्वेदी की एसीआर में शून्य अंक भरे।इस दौरान केन्द्र सरकार ने इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) से चतुर्वेदी की गोपनीय रिपोर्ट तैयार करवाई।
इसकी जानकारी चतुर्वेदी को लगी तो उन्होंने आईबी से सूचना के अधिकार के तहत यह रिपोर्ट मांगी। आईबी के अधिकारियों ने राष्ट्रीय सुरक्षा के तहत यह रिपोर्ट देने से इनकार कर दिया। इस पर चतुर्वेदी ने केन्द्रीय सूचना आयोग में अपील कर दी। आयोग ने 21 अप्रेल 2016 को आईबी को यह रिपोर्ट चतुर्वेदी को सौंपने के निर्देश दिए। इसके खिलाफ आईबी ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की। यहां संजीव चतुर्वेदी ने खुद ही पैरवी करते हुए कोर्ट से उन पर तैयार की गई रिपोर्ट को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा नहीं है। इसलिए देने से कोई समस्या नहीं है। इसे कोर्ट ने मान लिया और चतुर्वेदी पर आईबी की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट को आरटीआई के दायरे में लेेते हुए इसे चतुर्वेदी को देने के निर्देश दिए।
नजीर बनेगा फैसला
केन्द्र सरकार अक्सर अफसरों की गोपनीय रिपोर्ट तैयार करवाती रहती है। अभी तक आईबी खुद को आरटीआई के दायरे बाहर बताकर इस तरह की रिपोर्ट नहीं देती थी। दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब ऐसी रिपोर्ट आरटीआई से बाहर आ सकेगी।