बताया जा रहा है कि प्रधान महालेखाकार ने ऑडिट पैरा में आपत्ति की थी। क्योंकि कई भवनों में पूर्णता प्रमाण पत्र जारी नहीं होता था, जिसक वजह से वेलफेयर फंड में राशि नहीं पहुंच पा रही थी। आदेश के अनुसार नगरीय निकाय श्रम विभाग के लेबर वेलफेयर फंड में डिमांड ड्राफ्ट जमा कराना सुनिश्चित करेंगे। लेबर सेस जमा कराने की रसीद निकाय में जमा कराना जरूरी होगा। अगर प्रोजेक्ट के निर्माण की अवधि है एक वर्ष से ज्यादा तो प्रथम वर्ष में आने वाली लागत के अनुसार सेस की राशि देनी होगी। शेष राशि एक वर्ष पूरा होने के बाद देनी होगी। गौरतलब है कि कुल निर्माण लागत का एक फीसदी लेबर सेस के रूप में देना होता है।
पुरानी व्यवस्था को किया लागू यूडीएच के इस आदेश से पूर्व की व्यवस्था लागू हो गई है। पहले निकाय में डिमांड ड्राफ्ट देने पर ही नक्शे जारी होते थे। लेकिन यूडीएच ने भाजपा राज में 27 जून, 2017 में आदेश जारी किया था। जिसमें पूर्णता प्रमाण पत्र लेने के लिए रसीद जरूरी की थी।
इसलिए पड़ी जरूरत शहर में हर साल जितनी इमारतें बनती हैं उसकी 10 से 20 फीसदी भी पूर्णता प्रमाण पत्र नहीं लेती है, जिसकी वजह से लेबर वेलफेयर फंड में राशि में कमी आ रही थी। ऐसे में प्रधान महालेखाकार की ओर से ऑडिट में आपत्ति जताने के बाद यूडीएच ने पुरानी व्यवस्था को दोबारा लागू कर दिया है।