scriptराजस्थान कृषि उपज मंडी अधिनियम 1961 में सुधार करवाए जाने की मांग | Demand for reforms in Rajasthan Agricultural Produce Market Act 1961 | Patrika News

राजस्थान कृषि उपज मंडी अधिनियम 1961 में सुधार करवाए जाने की मांग

locationजयपुरPublished: Feb 12, 2021 03:09:11 pm

Submitted by:

Rakhi Hajela

भारतीय किसान संघ राजस्थान ने की मांगएमएसपी से नीचे खरीद रुकवाने की मांग कीकहा, उत्तराखंड की तर्ज पर पूरे राजस्थान को मंडी क्षेत्र घोषित किया जाए

राजस्थान कृषि उपज मंडी अधिनियम 1961 में सुधार करवाए जाने की मांग

राजस्थान कृषि उपज मंडी अधिनियम 1961 में सुधार करवाए जाने की मांग


भारतीय किसान संघ राजस्थान (Bhartiya kisan sangh) ने एमएसपी (MSP) से नीचे खरीद रुकवाने और राजस्थान कृषि उपज मंडी अधिनियम 1961 (Rajasthan Agricultural Produce Market Act 1961) में सुधार करवाए जाने की मांग की है। संघ के कैलाश गदोलिया ने कहा कि किसान को मंडी में माल बेचने की बाध्यता समाप्त कर मंडी से बाहर माल बेचने की कानूनी छूट दिए जाने और उत्तराखंड की तर्ज पर पूरे राजस्थान को मंडी क्षेत्र घोषित किया जाए। उनका कहना है कि तय समर्थन मूल्य से नीचे फसल बिक्री के कारण किसानों को हर फसल सीजन में करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में लंबे समय से किसान समर्थन मूल्य से नीचे फसल बिक्री और खरीद को प्रतिबंधित किए जाने के कानूनी प्रावधान की मांग कर रहे हैं। इसे लेकर जून 2017 में भारतीसय किसान संघ ने भी आंदोलन किया था और आश्वासन मिलने के बाद आंदोलन स्थगित किया गया था। वहीं आरएपीएमसी एक्ट 191 में भी मंडी समितियों में समर्थन मूल्य से नीचे फसल खरीद और बिक्री को रोकने के लिए मंडी समितियों को अधिकार दिए गए होने के बाद भी मंडी समितियों ने इसका उपयोग नहीं किया।
उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि इस अधिनियम को सख्ती से लागू कर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद और बिक्री करने वालों पर सख्त कार्यवाही करें। गुजरात, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और कर्नाटक की सरकारों द्वारा वहां के मंडी शुल्क में कटौती कर मंडी शुल्क को 0.35 से 1.00 प्रतिशत के न्यूनतम स्तर पर लाया गया है। जबकि राजस्थान में 2.60 प्रतिशत मंडी शुल्क है। यह शुल्क अप्रत्यक्ष रूप से किसानों को ही देना होता है क्योंकि तेल तिलों से ही निकलता है। हाल में केंद्र ने किसान बिल पारित किया है जिसके मुताबिक मंडी के बाहर खरीद फरोख्त करने से टैक्स नहीं लगेगा।लेकिन किसानों में भ्रम है कि मंडी किसान अप्रत्यक्ष टैक्स बचाने के लिए मंडी में फसल लेकर नहीं जाएगा परिणास्वरूप मंडी के अंदर और मंडी के बाहर खरीद फरोख्त में दोनों के बीच प्रतिस्पद्र्धा समाप्त हो जाएगी और किसानों को उपज का दाम अधिक नहीं मिलेगा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो