गौरतलब है कि वर्त्तमान में डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ व पुलिसकर्मियों सहित अति-आवश्यक कार्य में लगे हुए कार्मिकों को फ्रेंटलाइन वर्कर माना जाता है। कोरोना काल में निरंतर सेवाएं पत्रकारों को भी इस श्रेणी में शामिल किये जाने की मांग उठती रही है।
बिहार, ओडिसा और उत्तराखंड ने भी की घोषणा
कोरोना काल में मीडिया की भूमिका को देखते हुए कई राज्यों ने पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर्स घोषित कर उन्हें सुरक्षा के दायरे में लिया है। मध्य प्रदेश से पहले बिहार, ओडिसा और उत्तराखंड की सरकारों ने इस सिलसिले में कदम उठाये हैं। इन सरकारों ने प्रिंट मीडिया के साथ-साथ इलेक्ट्रानिक व वेब मीडिया के पत्रकारों को भी फ्रंटलाइन वर्कर माना है।
बिहार: प्राथमिकता के साथ लगा रहे वैक्सीन
बिहार में मान्यता प्राप्त पत्रकारों के साथ-साथ गैर मान्यता प्राप्त पत्रकारों को भी फ्रंटलाइन वर्कर की श्रेणी में शामिल किया गया है। ऐसे पत्रकारों को प्राथमिकता के साथ कोरोना से सुरक्षा की वैक्सीन लगाए जाने की कवायद शुरू हो गई है।
ओडिसा: मिलेगा स्वास्थ्य बीमा का लाभ
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने पत्रकारों को भी फ्रंटलाइन कोरोना वारियर्स घोषित किया है। इस घोषणा से राज्य के 6 हजार 944 पत्रकारों को सरकार की स्वास्थ्य योजना का लाभ मिल सकेगा। योजना में पत्रकारों को दो लाख का स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जा रहा है। कोविड के समय कार्यरत किसी भी पत्रकार की मृत्यु होने पर परिवार को 15 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा मुख्यमंत्री ने की है।
उत्तराखंड: उम्र सीमा नहीं, वैक्सीन लगाने के आदेश
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने राज्य के सभी पत्रकारों को फ्रंट लाइन वर्कर घोषित किया है। साथ ही सभी को कोरोना वैक्सीन दिये जाने की मंजूरी भी दी है। पत्रकारों के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं रखी गई है। राज्य सरकार ने जारी किये गये बयान में कहा कि महामारी के खिलाफ पत्रकारों ने लोगों तक सही सूचनाएं पहुंचाई, साथ ही जागरुकता में अहम भूमिका भी अदा की।