यह है स्थिति..
प्रदेश के नगरीय निकायों की आर्थिक स्थिति काफी खराब है। इससे निकाय कर्मचारियों को समय पर वेतन, भत्तों का भुगतान नहीं हो पा रहा है। निकायों में करीब 90 प्रतिशत सफाई कर्मचारी हैं। इन्हें भी सेवानिवृत्ति पर सेवा परिलाभ का भुगतान समय पर नहीं हो रहा। इन विसंगतियों के चलते ही कर्मचारी समय—समय पर आंदोलन करते रहे हैं। यही कारण है कि प्रदेश के नगरीय निकायों के ट्रेड यूनियन सफाई श्रमिक संगठन और निकायों से जुड़े अन्य कर्मचारी संगठनों ने राज्य की संचित निधि से वेतन भत्तों का भुगतान करने की पुरजोर मांग की है। उन्होंने इसी बजट में जोड़ने की जरूरत जताई है। कर्मचारी मंत्री महेश जोशी से भी मिले।
प्रदेश के नगरीय निकायों की आर्थिक स्थिति काफी खराब है। इससे निकाय कर्मचारियों को समय पर वेतन, भत्तों का भुगतान नहीं हो पा रहा है। निकायों में करीब 90 प्रतिशत सफाई कर्मचारी हैं। इन्हें भी सेवानिवृत्ति पर सेवा परिलाभ का भुगतान समय पर नहीं हो रहा। इन विसंगतियों के चलते ही कर्मचारी समय—समय पर आंदोलन करते रहे हैं। यही कारण है कि प्रदेश के नगरीय निकायों के ट्रेड यूनियन सफाई श्रमिक संगठन और निकायों से जुड़े अन्य कर्मचारी संगठनों ने राज्य की संचित निधि से वेतन भत्तों का भुगतान करने की पुरजोर मांग की है। उन्होंने इसी बजट में जोड़ने की जरूरत जताई है। कर्मचारी मंत्री महेश जोशी से भी मिले।
यह भी कहा
उन्होंने कहा कि जब सरकार पर वही वित्तीय भार पड़ना है तो राज्य सरकार पंचायती राज की तर्ज पर निकायों के कर्मचारियों और अधिकारियों का वेतन स्टेट हेड से क्यों नहीं देती। अधिकारियों-कर्मचारियों को उम्मीद थी कि बजट 2022-23 में इसकी घोषणा की जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस संबंध में पूर्व में प्रस्ताव वित्त विभाग को भी भिजवाया गया, लेकिन उसका अब तक कोई जवाब नहीं आया है।
उन्होंने कहा कि जब सरकार पर वही वित्तीय भार पड़ना है तो राज्य सरकार पंचायती राज की तर्ज पर निकायों के कर्मचारियों और अधिकारियों का वेतन स्टेट हेड से क्यों नहीं देती। अधिकारियों-कर्मचारियों को उम्मीद थी कि बजट 2022-23 में इसकी घोषणा की जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस संबंध में पूर्व में प्रस्ताव वित्त विभाग को भी भिजवाया गया, लेकिन उसका अब तक कोई जवाब नहीं आया है।